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डाउनलोड करेंट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के आए दिन नए कारनामे सामने आ रहे हैं। नई व्यवस्था के तहत अब ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देने के बावजूद आवेदक को ग्राफ की कॉपी नहीं दी जा रही है। इसके चलते आवेदक को यह पता नहीं चल पाता कि वह किस वजह से टेस्ट में फेल हो गया या उसने क्या गलती की थी। वहीं, मुलाजिम पास होने वाले आवेदकों के ग्राफ का गलत ढंग से इस्तेमाल भी कर रहे हैं। यहां तक कि इसका फायदा उठाकर दूसरे आवेदकों के टेस्ट पास किए जा रहे हैं और उनसे मोटी रकम वसूली जा रही है।
उधर, आम आवेदकों को इस व्यवस्था के चलते भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, आवेदकों की आंखों में धूल झोंक उन्हें गुमराह किया जा रहा है। आवेदकों को इस बारे में पूरी जानकारी ना होने के चलते वह भी वापस चले जाते हैं। नियमों के मुताबिक पक्का लाइसेंस बनवाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट सेंटर पर टेस्ट देना हर आवेदक के लिए अनिवार्य है। इसके लिए टेस्ट ट्रैक रूम में बैठ व्यक्ति आवेदक का टेस्ट लेता है। इसका एक ग्राफ बनाया जाता है। फेल हो या पास, इसका ग्राफ निकाला जाता है। पास होने पर ग्राफ फाइल में अटैच किया जाता है। फेल होने पर आवेदक को ग्राफ दिया जाता है, ताकि उसे पता चल सके, वह कहां पर गलत है। परंतु ऐसा ना कर मुलाजिम कंप्यूटर पर ही देखकर आवेदक को बता देता है कि वह पास है या फेल। आवेदक को कोई सबूत नहीं दिया जाता, जोकि जरूरी है।
कई आवेदकों को पास होने के बावजूद फेल बताकर रि-टेस्ट के लिए कहा जा रहा
जब आवेदक ड्राइविंग टेस्ट देता है तो टेस्ट रूम में बैठा मुलाजिम कंप्यूटर पर ग्राफ की मदद से चेक करता है कि व्यक्ति गाड़ी चलाते समय कहीं फाउल तो नहीं कर रहा। ट्रैक पर जैसे-जैसे गाड़ी चलाई जाती है, ग्राफ में लाइन बन जाती है। इस पर पता चल जाता है कि वह पास है या फेल। कई बार आवेदक टेस्ट में पास होने के बाद भी उसे फेल बता कर रि-टेस्ट के लिए कहा जाता है। ऐसे में टेस्ट के दौरान किसी अन्य आवेदक का भी एप्लीकेशन नंबर डाला जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को ग्राफ देना जरूरी है।
कोरोनाकाल की आड़ में ग्राफ का प्रिंट निकालना किया बंद, अब तक नहीं बदली व्यवस्था
कोरोनाकाल की आड़ में महकमे ने ग्राफ का प्रिंट निकालना बंद कर दिया था। पास होने वाले आवेदक के ग्राफ का प्रिंट निकालकर फाइल में जोड़ा जाता था, लेकिन इसे बंद करने से गोलमाल कर लाइसेंस बनाने के काम में तेजी आई। वहीं, अब कोरोना के केस खत्म भी हो चुके हैं और स्थितियां पहले की तरह सामान्य हो चुकी हैं। इसके बावजूद टांसपोर्ट महकमे ने अभी तक अपनी व्यवस्था नहीं बदली।
टेस्ट क्लियर करने के लिए मिलते हैं 5 मिनट
चारपहिया वाहन से टेस्ट देने के दौरान अलग-अलग साइन दिए होते हैं। इसे क्लियर करने पर ही लाइसेंस बनाया जाता है। इसके लिए 5 मिनट का समय दिया जाता है। इसमें फ्लाईओवर के 40 सेकेंड जहां पर कुछ सेकेंड रुकना भी होता है। पार्किंग के लिए 130 सेकेंड, आठ बनाने के लिए 40 सेकेंड, 130 सेकेंड बैक करने के लिए मिलते हैं। वहीं, दोपहिया वाहन के टेस्ट के दौरान सिर्फ 40 सेकेंड का समय दिया जाता है।
आवेदक को टेस्ट के बाद ग्राफ देना जरूरी है, तभी उसे पता चल पाएगा कि वह कहां पर गलत है। इस बारे में पता कर ग्राफ का प्रिंट आवेदक के लिए जरूरी किया जाएगा, ताकि किसी आवेदक से धोखा न हो सके। -सिमरनजीत सिंह ढिल्लों, एसडीएम
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