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डाउनलोड करेंपंजाब में किसान आंदोलन न करने के बयान से घिरे CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल पर पलटवार किया है। कैप्टन ने कहा कि उन्हें किसानों की मुश्किलों पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, जबकि केंद्र सरकार का हिस्सा होते हुए वो इसे आसानी से रोक सकते थे। कैप्टन ने कहा कि हरसिमरत इसे रोकने में अपनी नाकामी को छुपाने के लिए बेबुनियाद इल्जाम न लगाए।
कैप्टन ने कहा कि मैंने कभी किसानों को दिल्ली जाने के लिए नहीं कहा, बल्कि अकाली दल व भाजपा ने किसानों को अपना घर छोड़ दिल्ली बार्डर पर बैठने के लिए मजबूर किया। जहां किसानों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है। उन्होंने हरसिमरत के पंजाब में आंदोलन करने के सुझाव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ये तो वो बात हुई कि किसी को इस्टर्न फ्रंट में खड़े दुश्मन से लड़ने के लिए वेस्टर्न फ्रंट पर भेजा जाए। कैप्टन ने कहा कि किसानों की लड़ाई मेरी सरकार से नहीं बल्कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से है।
कैप्टन ने कहा कि हरसिमरत मेरे बयान से दुखी हो रही है लेकिन इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि यह बयान ऐसे नेता से आ रहा है जिन्होंने 10 साल तक पंजाब में कुशासन किया। पंजाब को पूरी बर्बादी के करार पर ला दिया और यही पार्टी किसान विरोधी कानून लेकर आई।
कैप्टन ने हरसिमरत को कहा कि उन्होंने अपनी मीडिया टीम को क्यों नहीं कहा कि वह बताएं कि मैंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व दूसरे नेताओं के साथ कितनी मीटिंग की। कितने पत्र लिखे और कितने फोन किए, पर मैंने किसानों के आंदोलन को राजनीति से दूर रखने की इच्छा का सम्मान करते हुए आपकी तरह प्रचार नहीं किया।
कैप्टन ने कहा कि पीएचडी चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) और फैडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने भी कहा है कि अगर किसानों का लगातार प्रदर्शन जारी रहा तो इससे पंजाब की इंडस्ट्री व कॉमर्स पर विपरीत असर पड़ेगा। जिससे लोग और नौकरियां गवाएंगे। उन्होंने हरसिमरत बादल को पूछा कि क्या वो चाहती हैं कि बतौर CM मेरी उन लोगों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है।
बयान पर विरोधियों से घिरे थे कैप्टन अमरिंदर सिंह
पंजाब में किसान आंदोलन न करने के बयान पर CM कैप्टन अमरिंदर सिंह घिर गए हैं। कैप्टन ने किसानों को कहा था कि वे अपने राज्य के बजाय हरियाणा व दिल्ली जाकर जो मर्जी करें। इसको लेकर अब पंजाब से लेकर हरियाणा तक के विपक्षी दल उन्हें घेरने में जुटे हैं। एक तरफ पंजाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कैप्टन का यह घटिया बयान है। कैप्टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे घुटने टेक दिए हैं, जिसके बाद वह उनकी बोली बोल रहे हैं। वहीं हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने फिर हमला बोला कि किसान आंदोलन को खड़ा करने व अब तक जिंदा रखने के पीछे कैप्टन अमरिंदर सिंह का हाथ है।
लोगों की खून-पसीने की कमाई से फार्म हाउस के खर्चे पूरे हो रहे : हरसिमरत
हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कैप्टन ने किसानों पर पंजाब की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा दिया। मुख्यमंत्री ने अपने ही राज्य के किसानों को कह दिया कि पंजाब छोड़ दिल्ली चले जाओ। हरसिमरत ने इसे घटिया बयान करार दिया। 13 महीने से किसान आंधी-तूफान, सर्दी-गर्मी के बीच दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं। न कैप्टन किसानों के साथ जाकर बैठे और न ही केंद्र पर दबाव डालने गए। अर्थव्यवस्था को ठीक करना CM की जिम्मेदारी है। किसान तो 13 महीने से आंदोलन कर रहे, लेकिन कैप्टन पौने 5 साल से मुख्यमंत्री हैं। वह फार्म हाउस में बैठकर सरकार चला रहे हैं। लोगों की खून पसीने की कमाई पर लगाए टैक्स से कैप्टन, उनके विधायकों व फार्म हाउसों के खर्चे पूरे हो रहे हैं।
कैप्टन का हरियाणा व दिल्ली में गड़बड़ी की बात कहना गलत : अनिल विज
कैप्टन जो बात कह रहे हैं, वह लोकतांत्रिक तौर पर बने मुख्यमंत्री को नहीं कहनी चाहिए। कैप्टन किसानों को कह रहे हैं कि आपने जो गड़बड़ी करनी है, हरियाणा व दिल्ली में करो। एक मुख्यमंत्री का यह कहना बहुत गलत है कि मेरे राज्य में कुछ मत करो और दिल्ली व हरियाणा में करो। इससे यह चीज सिद्ध होती है कि किसान आंदोलन के खड़े होने के पीछे अमरिंदर सिंह का हाथ है। उन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए इस आंदोलन को जिंदा रखा है।
कैप्टन ने कहा था, 113 पर पंजाब में किसानों के धरने, नौकरी, रेवेन्यू व इंवेस्टमेंट गंवा देंगे
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले होशियारपुर में कहा कि किसान पंजाब में आंदोलन न करें। पंजाब में 113 जगहों पर किसानों के धरने लगे हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। किसान पंजाब की डेवलपमेंट के बारे में भी सोचें। हालांकि उनके बयान पर सियासी तूफान उठा तो कैप्टन ने मंगलवार को फिर सफाई देते हुए कहा कि आंदोलन से पंजाब की अनाज खरीद व भंडारण बुरी तरह से प्रभावित हुई है। अगर पंजाब में आंदोलन जारी रहा तो हम नौकरियां, इंवेस्टमेंट व रेवेन्यू भी गंवा देंगे। कैप्टन ने इसे सियासत से जोड़ने वाले विरोधी दलों की तीखी आलोचना भी की।
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