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डाउनलोड करेंमांगों को लेकर पंजाब रोडवेज पनबस और पीआरटीसी कांट्रेक्ट वर्कर यूनियन ने लगातार दूसरे दिन बसों का चक्का जाम रखा। पंजाब रोडवेज के सभी 18 डिपो के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। हालांकि, बुधवार को हड़ताल के बीच ही सरकार ने मुलाजिमों को सैलरी जारी कर दी थी, लेकिन आउटसोर्स मुलाजिमों की सैलरी जारी न होने से भी मुलाजिमों में रोष व्यक्त है। इसके अलावा पिछले दिनों सवारियों की शिकायतों के बाद चंडीगढ़ डिपो के मुलाजिमों को ऑफ रूट करने के रोष स्वरूप मुलाजिमों ने प्रदर्शन किया।
उप-प्रधान दलजीत सिंह ने कहा कि बसों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा होती है और अन्य यात्री खड़े होकर सफर करते है, जो नियमों के खिलाफ है, लेकिन कई यात्री मुलाजिमों की गलत शिकायतें करते है कि मुलाजिम जानबूझ कर बसें नहीं रोकते और विभाग ने बिना जांच किए ही मुलाजिमों को ऑफ रूट कर दिया। दूसरे दिन भी सूबे में बसों का चक्का जाम होने से सरकार को करोड़ों का रेवेन्यू लॉस हुअा। हड़ताल के चलते बस स्टैंड पर आम दिनों के मुकाबले महिलाओं की संख्या कम ही रही। जबकि आम दिनों में महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है।
पनबस की नई बसें डिपो में, रोडवेज की खस्ताहालत ऑन रूट रहीं
हड़ताल के चलते पनबस में शामिल सभी नई बसें डिपो में ही खड़ी रही। हर डिपो में पंजाब रोडवेज के 3 से 4 ही ड्राइवर मौजूद रहे, जिन्होंने रोडवेज की खस्ताहालत बसों को ऑन रूट रखा। बसों की हालत इतनी खराब है कि रास्ते में कब खराब हो जाए, कुछ नहीं पता। इन खस्ताहालत बसों को रोडवेज ने ऑन रूट रखा। हड़ताल के चलते जालंधर के दोनों डिपो की करीब 170 बसें डिपो में ही खड़ी रही।
जालंधर डिपो-1 की 6 और डिपो-2 की 8 बसें ही रूट पर चली। इसका सीधा फायदा प्राईवेट ऑपरेटरों को हुआ और सरकार समय पर भी प्राईवेट ऑपरेटरों ने सवारियों को बिठाया। प्रत्येक डिपो में करीब 12 लाख रुपए का रेवन्यू लॉस हुआ है। वहीं, हड़ताल से डिपो में डीजल का खर्च बचा। जालंधर डिपो-1 की बसें चंडीगढ़ और अमृतसर रूट पर ही रवाना हुई। जालंधर के दोनों डिपो में रोडवेज के महज 8 ही ड्राइवर है, जबकि बाकी पनबस के है, जो स्ट्राइक पर चल रहे है।
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