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डाउनलोड करेंपांच दिनों से जिंदगी और मौत से जूझ रही मन्नत ने मौत को हरा दिया है। उसके चेहरे पर जिंदगी खिलखिला रही है, जबकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह बचेगी। जहर से उसका गला जल सा गया था। सांस लेने में भी उसे तकलीफ हो रही थी, लेकिन डॉक्टरों की मेहनत और लोगों की दुआओं के साथ ही बच्ची ने जो हिम्मत दिखाई, उसी का नतीजा है कि आज वह जीना चाहती है। उसे अब वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। मंगलवार को उसके बेड पर चॉकलेट और बिस्कुट पड़े थे और नर्सों से हंस-हंसकर बातें करती रही।
बोली- अस्पताल में मेरा बहुत ख्याल रख रहे हैं। कल रात मुझे पैटीज खानी थी तो दीदी ने लाकर दी, इससे पहले मेरा गोलगप्पे खाने का मन हुआ तो दीदी ने मुझे लाकर दिए। मैंने दो गोलगप्पे खाए। अब मैं ठीक हो गई हूं पर मुझे घर की याद आ रही है।’ हर समय खिलखिलाने वाली इस मासूम को अपनों का इंतजार है। अस्पताल उसे छुट्टी देने को तैयार है। जब मासूम से बात की तो जोश से बोली, ‘भइया मैं बहुत स्ट्रॉन्ग हूं। बड़ी होकर पुलिस में जाऊंगी।’ उसने बताया कि चाचा मिलने आए थे। वे शाम को घर ले जाने की बात कह गए हैं। दूसरी तरफ टैगोर अस्पताल के डॉक्टर विजय महाजन ने बताया कि उन्होंने परिवार से बात करने की काफी कोशिश की, लेकिन कोई बच्ची की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं।
दिल दहलाती मासूम की आपबीती- मां ने कहा कि हाइट बढ़ाने की दवा है खा लो...गोली अटकी तो उल्टी आ गई
न्यू राज नगर में रहने वाली बच्ची ने घटना के बारे में बताया कि वह घर में ही थी तो मां ने एक गोली दी। मुझे नहीं पता था कि मम्मी गोली कहां से लाई थीं? मम्मी ने मुझे कहा- हाइट बढ़ाने की गोली है। खा लो तो मैंने खा ली। इसके बाद गोली गले में अटक गई और मुझे उल्टी आ गई। मम्मी ने सबसे पहले गोली मुझे खिलाई, फिर भइया और खुद खाई थी। गोली खाने के बाद मुझे उल्टी आई जबकि मम्मी भइया और मेरी आंखों में से पानी आ रहा था और मैं रो रही थी। मम्मी मुझे और भइया को पहले भी हाइट बढ़ाने की गोली देती थी।
बच्ची को घर जैसा माहौल देने को अस्पताल का स्टाफ उसके साथ बिता रहा समय
टैगोर अस्पताल में बच्ची पांच दिन से दाखिल है। अस्पताल के पूरे स्टाफ को उससे लगाव हो गया है। स्टाफ नर्सों का कहना है कि वे बच्ची के साथ ज्यादा समय व्यतीत करती हैं ताकि उसे महसूस न हो कि वह अस्पताल में अकेली है। हर समय किसी न किसी स्टाफ मेंबर की ड्यूटी उसकी केयर के लिए लगाई गई है। डाॅक्टर्स ने उसका बेड अपने काउंटर के साथ ही लगाया है। हर शिफ्ट में आने वाली नर्सें उसके लिए कुछ न कुछ ला रही हैं और उससे बातें भी करती रहती हैं।
परिजन तो हमसे बात तक नहीं करते- डॉ. महाजन
टेगौर अस्पताल के डॉ. विजय महाजन का कहना है कि अस्पताल में जब बच्ची को लाया गया तो उसकी हालत नाजुक थी। जहरीला पदार्थ खाने से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। डॉ. निपुण महाजन, डॉ. अमित महाजन और डॉ. तरणदीप ने उसका इलाज किया और जान बचाई। अब बच्ची ठीक हो चुकी है, लेकिन दादा और नाना परिवार की तरफ से कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है। अगर कोई उसे मिलने आता है तो डॉक्टर से बात तक नहीं करते। इसका कारण अस्पताल का बिल या कोई अन्य कारण हो सकता है। हम तो किसी से बिल मांग ही नहीं रहे और न ही मांगेंगे। अस्पताल प्रशासन सिर्फ यही चाहता है कि बच्ची को वही परिवार का सदस्य ले जाए, जो उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो। डॉ. महाजन ने बताया कि हालात ऐसे हैं कि बच्ची के परिजनों से बच्ची के भाई के डेथ सर्टिफिकेट के लिए आधार कार्ड मांगा था, वो भी अस्पताल में जमा नहीं करवाया गया। वे चाहते हैं कि बच्ची का भविष्य सुरक्षित हो, इसलिए जिम्मेदार हाथों में ही वे बच्ची को सौंपना चाहते हैं। स्टाफ ने बताया कि बच्ची को परिवारिक सदस्य देखने आते हैं, लेकिन डाॅक्टर्स के साथ कोई बात नहीं करता है।
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