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परेशानी:गेहूं की चमक फीकी पड़ने, एफएक्यू क्वालिटी में नहीं आने से 60% किसानों को 400 रु. क्विंटल का घाटा

गंजबासौदा2 महीने पहले
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मौसम के फिर बदले से क्षेत्र में तेजी से कटाई कार्य चल रहा है। - Money Bhaskar
मौसम के फिर बदले से क्षेत्र में तेजी से कटाई कार्य चल रहा है।

आंधी-तूफान, ओला और बारिश से प्रभावित फसलों की चमक चले जाने से 60 फीसदी किसानों को 400 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। विकासखंड में मौसमी प्रभाव से सूख चुकी खेत में खड़ी गेहूं की फसल गीली हो गई थी। फसल खेतों में आड़ी हो गई थी। उन फसलों में दाने की चमक चली गई है। इसके साथ दाना भी कमजोर और पतला पड़ गया।

इससे दाने की फेयर एवरेज क्वालिटी प्रभावित हुई है। बाजार में ऐसी उपज का भाव सही नहीं मिल पा रहा है। यह बात अलग है कि इन दिनों गेहूं के भाव तेज हैं। इससे उनकी फसल तो आसानी से बिक जाएगी लेकिन जो भाव मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। किसान इन दिनों फसल कटाई के बाद खेतों से सीधे गेहूं कृषि मंडी लेकर जा रहे हैं। यदि घर में रखेंगे तो उपज खराब होने की आशंका है।

विकासखंड में 51 हजार हेक्टेयर रकबा
विकासखंड में दो तहसीलें आती हैं। गंजबासौदा और त्योंदा। गंजबासौदा तहसील में गेहूं की फसल 33 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल बोवनी की गई थी। जबकि त्योंदा तहसील में 18 हजार हेक्टेयर भूमि पर फसल ली गई है। मौसम की मार से दोनों ही तहसीलों में फसल की फसलों पर पड़ी है।

कृषक अय्यूब कुरैशी, भूपेंद्र सिंह यादव ने बताया कि मौसमी प्रभाव से गेहूं, सरसों, मसूर, चना 60 प्रतिशत फसलें प्रभावित हुई हैं। इसके कारण किसान हार्वेस्टर से खेतों की कटाई कर आने के बाद सीधे अनाज कृषि उपज मंडी बेचने के लिए जा रहे हैं।

नमी और क्वालिटी ठीक ना होने से गेहूं 1900 से 2000 रुपया प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है। जबकि जहां मौसम का प्रभाव फसल पर नहीं है। उनको उसी अनाज का दाम 2700 से 2800 रुपया प्रति क्विंटल मिल रहा है।

9 अप्रैल के बाद बंपर आवक होगी
कटाई के बाद किसान उपज रखने तैयार नहीं हैं। मौसम की मार खाई उपज उनको घाटे का सौदा हो सकती है। उसके खराब होने का डर भी बना रहेगा। इसलिए उसे मंडी में बेचने की तैयारी में हैं। आने वाले 8 दिनों में कई किसानों की फसल भी कट कर तैयार हो जाएंगी। व्यापार प्रतिनिधि रोहित अग्रवाल ने बताया कि मंडी बंद होने से पहले नीलामी के लिए आवक 50 हजार बोरे की दर्ज हुई थी।

जब खुलेगी तो यह आवकडेढ़ गुना से ज्यादा होने की उम्मीद है। व्यापारियों को इसका अंदाजा है, इसलिए उन्होंने पहले से ही व्यवस्था बनाए जाने की मांग को लेकर विधायक सहित कृषि मंडी सचिव को लिखित पत्र सौंपा है।

मौसम से हुआ फसलों को नुकसान
जहां-जहां सूखी फसल पर पानी लगा है और हवा से आड़ी हुई है, उन फसलों की चमक चली गई है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अशोक सिंह गौरव, एसएडीओ कृषि विभाग गंजबासौदा

80% कटाई हो चुकी पूरी
जिन किसानों ने पहली बोवनी की थी। उनकी फसल कटाई अब तक 80 फीसदी हो चुकी है। सिर्फ 20 प्रतिशत फसलें शेष बची हैं। जो बाद की बोवनी की है। उनकी फसलें भी कटाई पर आने लगी हैं। अप्रैल के प्रथम पखवाड़े तक शत प्रतिशत फसल कटाई पूरी हो जाएगी।

मौसम की मार से किसानों को दोतरफा घाटा हुआ है। चमक जाने से भाव कमी आई है। दूसरी तरफ हवा, पानी के कारण खेतों में आड़ी फसलों में दाना कमजोर पड़ने से उनकी पैदावार प्रभावित हुई है। प्रति बीघा पैदावार में कमी आई है। इससे उनके दोतरफा घाटा हुआ है।