पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंप्रकृति की सत्ता हस्तांतरण के लिए कल बुधवार को भगवान महाकाल और भगवान कृष्ण का मिलन होगा। इसके लिए भगवान महाकाल खुद गोपाल मंदिर तक जाएंगे। रात 11 बजे महाकाल की सवारी गोपाल मंदिर तक जाएगी। रात 12 बजे दोनों का मिलन होगा। यह समारोह हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात को होता है। शिव को मानने वाले शैव और विष्णु को मानने वाले वैष्णव समुदाय के लिए आज का दिन खास होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक राजा बली के यहां विश्राम करने जाते हैं। इसलिए उस समय संपूर्ण सृष्टि की सत्ता का भार शिव के पास होता है। वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन हर-हरि को उनकी सत्ता का भार वापस सौंपकर कैलाश पर्वत तपस्या हेतु लौट जाते हैं। इस धार्मिक परंपरा को हरिहर मिलन कहते हैं।
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी भगवान विष्णु तथा शिव जी के ऐक्य का प्रतीक है। जगत पालक विष्णु और कल्याणकारी शिव की भक्ति में भी यही संकेत है। इस दिन भगवान श्री विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था।
शिव को तुलसी और कृष्ण को बिल्वपत्र चढ़ाएंगे
महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप से महाकालेश्वर भगवान की सवारी हरिहर मिलन हेतु रात्रि 11 बजे प्रस्थान करेगी। सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। जहां भगवान श्री महाकालेश्वर एवं श्री द्वारकाधीश का पूजन होगा। महाकाल का पूजन तुलसी से किया जावेगा वहीं भगवान विष्णु को बिल्वपत्र अर्पित किये जायेंगे। इस प्रकार दोनों की प्रिय वस्तुओं का एक दूसरे को भोग लगाया जाएगा। इस दुर्लभ दृश्य को देखकर अपना जीवन धन्य करने हेतु भक्त पूरे वर्ष उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा करते हैं। यह अनूठी परंपरा वैष्णव एवं शैव मार्ग के समन्वय व परस्पर सौहार्द्र का प्रतीक है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.