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डाउनलोड करेंमध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला में आज भी इस इलाके के लोग परेशानी में जीने को मजबूर हैं। यहां के लोग कोयला खदानों से निकलने वाले कोयला युक्त मिश्रित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। यही वजह है कि इस इलाके के लोग ज्यादातर कई बीमारियों के चपेट में हैं।
डॉक्टरों ने बताया कि फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रस्त होकर अपंग हो गए हैं। यह इलाका देश के सर्वाधिक प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर आता है। इस इलाके के लोग खराब हवा और दूषित पानी की वजह से फ्लोरोसिस नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए हैं।
फ्लोराइड युक्त पानी लोगों को विकलांग कर रहा है। NGT के बाद भी न तो एमपी सरकार ने लोगों की गुहार सुनी और न ही जिला प्रशासन ने इसके लिए कोई कारगर कदम उठाया। हालात ये हैं कि जयंत, मोरवा, सिंगरौली, बैढन जैसे करीब 50 गांवों के करीब 5 हजार से ज्यादा लोग दूषित हवा और पानी की वजह से अपंग हो चुके हैं। सेंटर फॉर साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक यहां के लोगों में पारा की मात्रा ज्यादा पाई थी, यहां के लोगों को फ्लोरोसिस की बीमारी से ग्रसित पाया गया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार यहां की खनिज संपदा का दोहन कर राजस्व अर्जित करती है। खनन माफिया यहां प्रबल हैं, लेकिन यहां के लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहां के लोग आज भी नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जिसकी वजह से लोगों में ये फ्लोरोसिस की बीमारी हो रही है। लोग विकलांग हो रहे हैं। बच्चों में तेजी से ये बीमारी बढ़ रही है। उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है, लेकिन सरकार अब तक नहीं जाग रही है। कोयला, बिजली व सोने की खबर से देश-दुनिया को आकर्षित कर लिया, लेकिन इलाके के लोगों के लिए कोई शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं कर पाया है।
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