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कथा में पं. गोविंद जाने ने कहा:जिसकी नीयत श्रेष्ठ, उसका वैभव भी होता है श्रेष्ठ

अकोदिया2 महीने पहले
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सूरत सुधारने के कई तरीके हैं, कई पार्लर हैं। जो नीयत को सुधारे उसका एक ही पार्लर है संयम। जिसकी नीयत श्रेष्ठ है, उसका वैभव भी श्रेष्ठ होता है, बड़ा होता है, पवित्र होता है। इसलिए नीयत को साफ रखोगे और आपसे बड़ा धनवान कोई नहीं है।

यह बात पं. गोविंद जाने ने ग्राम के हनुमान मंदिर स्थित मैदान में कथा के दूसरे दिन कथा का वाचन करते हुए कही। पं. गोविंद जाने ने कहा कि हर कोई धन के पीछे दौड़ रहा है। किसी का सपना बड़ा मकान बनाने का है, किसी का सपना बड़ी गाड़ी खरीदने का है। कोई विरला ही होता है, जिसका सपना हरि के गुणगान करते हुए उसका सबसे चहेता भक्त बनने का। वास्तव में वो ही इंसान है, जिसने हरि के होने का सपना देखा। क्योंकि वह अपने जीवन में किसी चीज की चाह नहीं रखता।

अंतःकरण में राम को बसाएं

पं.गोविंद जाने कहा कि अंतिम चरण तक जो हरी नाम जपता है, उसके प्राण नहीं जाते बल्कि वह महाप्रयान हो जाता है। जिस व्यक्ति के अंतःकरण में राम का नाम चलता रहता है उसकी मृत्यु नहीं होती, बल्कि उसे मोक्ष मिल जाता है। वह राम का ईश्वर का प्रिय हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक चावल की पोटली में उसने प्रेम के मोह में बंधकर एक गरीब ब्राह्मण को हर तरह का वैभव दे दिया, उसका जीवन संवार दिया।

उस दरिद्र ब्राह्मण ने उनसे कुछ नहीं मांगा था, जिसे प्रभु ने बिन मांगे सब कुछ दे दिया और कई लोग उससे वैभव, धन-धान्य मांगते हैं। अरे वह तो प्रेम का भूखा है, भाव का भूखा है। तभी तो उसने बिन मांगे एक दरिद्र के जीवन को उसके भाव देखकर ही वैभव वान कर दिया। दोपहर 3.30 बजे महाआरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया, जिसका लाभ सभी भक्तों ने लिया।

दूसरे दिन भी उमड़ी भक्तों की भीड़

नगर में चल रही श्रीमद भागवत कथा की शुरुआत विशाल कलश यात्रा से हुई थी तो दूसरे दिन भी इसी तरह का उत्साह भक्तों में देखने को मिला। जिससे पूरा परिसर भक्तों की भीड़ से पट गया। जहां लोग बैठने के लिए नहीं कथा सुनने के लिए पहुंचे थे। यही वजह थी कि जिसे जहां जगह मिली वह वहीं रुक गया। इस कथा में केवल नगर के ही नहीं बल्कि जिले भर से लोग शामिल हो रहे हैं।