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डाउनलोड करेंशहडोल में स्वास्थ्य विभाग अपने कारनामों के लिए हमेशा चर्चा में बना रहता है। चाहे वह जन सामान्य को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध न करा पाने की वजह से हो अथवा शासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए मनमाने ढ़ंग से कार्यक्रम को चलाना या फिर प्रशासकीय पदों पर जूनियर को प्रभार देने संबंधी मामले हों।
दिनांक 24 मार्च 2022 को आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सुदामा खाड़े ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि, संबधित विकास खंड के सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ व वरिष्ठ नियमित चिकित्सा अधिकारी को ही बीएमओ का प्रभार सौंपा जाए। लेकिन जिले में सब उल्टा ही है। यहां वरिष्ठ व अनुभवी को दरकिनार कर कनिष्ठों को बीएमओ जैसे महत्वूपर्ण पद का प्रभार दिया गया है।
ब्यौहारी में पदस्थ डॉ. डीके पारासर जो सीनियर व अनुभवी डाक्टर हैं और विकास खंड में अपनी टीम के साथ समस्त कार्यक्रमों को शासन की मंशानुसार मूर्त रूप दे रहे थे। लेकिन पद की लालसा व तत्कालीन सीएमएचओ से नजदीकियां होने के कारण शाासन के निर्देश व सीनियरटी को दरकिनार कर पीएचसी में पदस्थ डॉ. निशांत सिंह परिहार को बीएमओ का प्रभार सौंप दिया गया।
तत्कालीन बीएमओ पद से नवाज दिया
बीएमओ बनने के बाद डॉ. निशांत कार्यक्रमों की अनभिज्ञता व अनुभव की कमी के चलते मुख्यमंत्री के हितग्राही मूलक योजनाओं में पलीता लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बुढ़ार में पदस्थ डॉ. आरके वर्मा बीएमओ पद पर रहते हुए अपने सभी कर्मचारियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य सुविधाओं व योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचा रहे थे।
लेकिन धन पुरी में पदस्थ डॉ. सचिन कारखुर की भी तत्कालीन सीएमएचओ से नजदीकियां होने के कारण डॉ. वर्मा को पद से मुक्त कर डॉ. कारखुर, जिन्हें पूर्व में लापरवाही के कारण हटा दिया गया था, पुनः तत्कालीन बीएमओ पद से नवाज दिया गया।
इतना ही नहीं, धनपुरी में पदस्थ डॉ. कारखुर को प्रभार देकर धनपुरी सीएचसी खाली कर दिया गया। वहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु हल्ला न मचे, इसलिए अलग-अलग पीएचसी के डॉक्टरों की ड्यूटी वहां लगा दी गई।
गैर जिम्मेदाराना कार्य शैली का उदाहरण
यह भी बता दें कि, डॉ. कारखुर की गैर जिम्मेदाराना कार्य शैली का उदाहरण हाल ही में सामने भी आया था। जहां सामुदायिक केंद्र बुढार में उपचार के लिए आई महिला को खांसी की सिरफ की जगह, जूं मारने की दवा दे दी गई। जिसके बाद महिला की स्थिति गंभीर हो गई थी। इस तरह की लापरवाही व उदासीन रवैये पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई होनी थी लेकिन इस पर भी किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया, यह भी विचारणीय है।
वर्तमान में पदस्थ डॉ. आरएस पांडे जो काफी सीनियर व अनुभवी होने के साथ-साथ शासन के निर्देशों के अनुरूप कार्य करने की शैली को लेकर पहचाने जाते हैं। जिन्हें जिले में काफी फेरबदल करने की आवश्यकता है। जिसमें मुख्यतः स्वास्थ्य आयुक्त के निर्देशों का पालन करते हुए इन विकासखंडो में नियमतः वरिष्ठ व अनुभवी को प्रभार देकर विकासखंड के साथ-साथ, जिले को भी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भोपाल स्तर पर अलग पहचान बनानी होगी।
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