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डाउनलोड करेंकोरोना के सबसे लंबे और महंगे इलाज के बाद जान गंवाने वाले किसान धर्मजय सिंह (दादा) का परिवार सरकारी रवैए से खफा है। परिवार ने धर्मजय को बचाने के लिए 6 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए। रीवा से लेकर देश-विदेश के डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन सरकारी मदद उन्हें नहीं मिली। धर्मजय के बड़े भाई एडवोकेट प्रदीप सिंह कहते हैं, मुख्यमंत्री के पास असीम पावर होते हैं। यदि कोई मंत्री का बेटा बीमार होता है तो सरकार देश-विदेश में इलाज कराती है, लेकिन एक आम किसान बीमार हो जाए तो उसे खेत तक बेचना पड़ जाता है। हमने भाई के इलाज पर जमा पूंजी से तीन करोड़ और बाकी 3 करोड़ रिश्तेदारों व परिचितों से कर्ज लेकर खर्च किए।
धर्मजय लोगों की मदद करता था, इसलिए मैं चाहता था कि सरकार धर्मजय के इलाज में मदद करे। सरकार के पास पैसा है, वह पब्लिक का है। सरकार को चाहिए कि वह लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करे। धर्मजय के इलाज के लिए मप्र सरकार ने दो बार 2-2 लाख रुपए अपोलो हॉस्पिटल के खाते में डाले। भारी भरकम बिल में यह राशि बहुत ही कम थी। इसके बाद मैंने दिल्ली जाकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन उस पर कुछ नहीं हुआ।
प्रदीप सिंह ने बताया कि मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय में भाई के इलाज के लिए आर्थिक मदद करने की अपील भेजी। मैंने कोई शिकायत नहीं की थी। मैंने लिखा था- एक किसान को मुख्यमंत्री इसी साल 26 जनवरी को इसलिए सम्मानित करते हैं कि उसने मध्यप्रदेश में स्ट्रॉबेरी पैदा कर दी। अब वह किसान जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। उस किसान को मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद दी जाए।
पीएम कार्यालय से आया पत्र सीएम शिकायत पोर्टल में दर्ज कर दिया
प्रदीप के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय से मप्र के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर कार्रवाई करने को कहा गया था, लेकिन इस पत्र को मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल में डाल कर नरसिंहपुर जिला प्रशासन को भेज दिया। वहां से अधिकारियों के फोन आने लगे। आपने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मुझे शिकायत वापस लेने को कहा। मेरी अपील को अधिकारियों ने शिकायत बना दिया।
ओडिशा सरकार ने बच्चे के इलाज के लिए डेढ़ करोड़ रुपए दिए थे
प्रदीप ने बताया कि अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती रहे एक बच्चे के हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ओडिशा सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपए की मदद की। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य के एक मरीज को एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की थी, लेकिन मप्र सरकार ने ऐसा नहीं किया।
धर्मजय ठीक हो गए थे, हमने अस्पताल में उनका जन्मदिन मनाया था
वे बताते हैं कि धर्मजय नवंबर महीने में ठीक हो गए थे। वे वेंटिलेटर और एक्मो मशीन से बाहर आ गए थे। तब हमें लगा कि धर्मजय मौत से जंग जीत गए हैं। तब हमने तय किया कि 21 नवंबर को उनका पुनर्जन्म हुआ है। हमने अस्पताल में केक काटा था, लेकिन कुछ ही दिन बाद उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया, वे दुनिया छोड़कर चले गए।
जमीन नहीं बेची, कर्ज लिया है
प्रदीप बताते हैं कि हमने भाई के इलाज के लिए जमीन नहीं बेची है। हां, अपने परिचितों और रिश्तेदारों से कर्ज जरूर लिया है। इलाज में 6 करोड़ खर्च करने के फैसले को लेकर उन्होंने बताया कि इतने लंबे समय तक महंगे इलाज को जारी रखने को लेकर परिवार में कोई सामूहिक बातचीत या सलाह मशविरा नहीं हुआ था। मैं और उनका बेटा पूरे समय अपोलो अस्पताल में रहे। हमने धर्मजय को बचाने के लिए यह बिल्कुल भी नहीं सोचा कि इतना खर्च होने के बाद मौत से जीत पाएगा या नहीं? वह जब तक जीवित था, अपना फर्ज पूरा करता रहा तो ऐसे जिंदादिल शख्स के लिए हम अपने फर्ज से कैसे पीछे हट सकते थे।
एक बैग भरकर इलाज के डॉक्यूमेंट थे
दुनिया में सबसे लंबे समय तक एक्मो मशीन में रहने वाले धर्मजय की इलाज से जुड़े डॉक्यूमेंट ही एक बड़े बैग में भरकर रखे गए थे। शव के साथ परिवार वाले उसे ले आए। इसमें अस्पताल का बिल भी है।
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