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डाउनलोड करेंचैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर रायसेन मुख्यालय से 17 किमी दूर स्थित खंडेरा मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। यह मंदिर पांच मुख वाली छोले वाली मैया के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। मंदिर में शारदी नवरात्रि और चैत नवरात्रि में मेला लगता है। यहां 9 दिनों में लगभग 2 से 3 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।
मंदिर में भोपाल, इंदौर, रतलाम, विदिशा, सागर सहित कई शहरों से श्रद्धालु नवरात्रि में दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में 9 दिन का मेला भी लगता है। मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश दुबे के मुताबिक यह मंदिर बहुत प्राचीन है। मंदिर का इतिहास भी बहुत पुराना है।
संत के कहने पर गांव में कराया था यज्ञ
मंदिर से जुड़ी एक किवंदती के अनुसार यहां लगभग ढाई हजार साल पहले गांव में महामारी फैली थी। चारों तरफ लोग मर रहे थे। जिससे गांव खाली होता जा रहा था। एक दिन तीन लोगों की अंतिम यात्रा के दौरान रास्ते में एक संत मिले। संत ने जब एक साथ तीन शवयात्रा देखी तो उन्होंने ग्रामीणों से पूछा कि ये क्या हो गया। तब ग्रामीणों ने संत को सारी बात बताई। संत ने उनकी बात सुनी और कहा कि आप लोग गांव में चंदा इकट्ठा कर यज्ञ करवाओ। ग्रामीणों ने संत की बात सुनी और यज्ञ की तैयारी में जुट गए। गांव में यज्ञ करवाया गया। यज्ञ के 7वें दिन छोले के पेड़ के नीचे पांच मुख वाली माता की प्रतिमा मिली। उसके बाद गांव में फैली महामारी खत्म हो गई। गांव फिर से खुशहाल और समृद्ध समृद्ध हो गया। तब से ही वह छोले वाली मैया के नाम से प्रसिद्ध हैं। गांव के निवासी रवि दुबे का दावा है कि तब से लेकर आज तक गांव में कोई महामारी नहीं फैली है।
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