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  • On Hearing The Voice, The Officers And Employees Came Running, Traveled From The Court Of Maharaja Mahendra Singh Singh To The New Collectorate.

पन्ना की राजशाही घंटी की कहानी:आवाज सुनते ही दौड़े चले आते है अधिकारी-कर्मचारी, महाराजा महेंद्र सिंह सिंह के दरबार से न्यू कलेक्ट्रेट तक का सफर ऐसे किया तय

पन्नाएक वर्ष पहले
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पन्ना जिला कलेक्टर कार्यालय में अधिकारी-कर्मचारियों को सूचना देने या एकत्रित करने के लिए एक घंटी बजाई जाती है। यह घंटी कोई मामूली नहीं है। यह सदियों पुरानी अनोखी राजशाही घंटी है। जो पन्ना के राजाओं के दरबार में सदियों से बजती आ रही है। आज भी बदलते दौर में कलेक्ट्रेट परिसर में इसे बजाया जाता है। जिसे सुनते ही अधिकारी दौड़े चले आते है।

पन्ना के लोग बताते है कि पन्ना राज महल के दरबार में किसी भी कार्यक्रम की सूचना देने के लिए राजशाही जमाने में जो यही घंटी बजाई जाती थी। यह परंपरा जिले में आज भी निर्वाहन की जा रही है। जो घंटी पहले पन्ना के महेंद्र सिंह महराज के समय दरबारियों को बुलाने के लिए बजाई जाती थी। अब उस परंपरा को जिंदा रखते हुए अधिकारी भी इसका इस्तेमाल कर रहे है।

ऐसा रहा घंटी का सफर

लोगों का कहना है कि महाराज के दरबार के बाद यह घंटी महेंद्र भवन पहुंची। आजादी के बाद संविधान लागू हुआ और शासन ने महेंद्र भवन को अपने अधीन कर लिया गया। घंटी के साथ अन्य सामग्री भी उसी में थी। जब तक नया कलेक्ट्रेट भवन नहीं बना तब तक यह घंटी वहीं अधिकारियों को बुलाने के लिए बजाई जाती रही।

हर कमरे में सुनाई देती है आवाज

नवीन कलेक्ट्रेट निर्माण के बाद यह घंटी न्यू कलेक्ट्रेट भवन भी पहुंच गई। आज भी यह किसी खास कार्यक्रम या मीटिंग में अधिकारी-कर्मचारियों के एकत्र करने के लिए सूचना के लिए बजाई जाती है। यह किस धातु की है और यह कब राज दरबार में शामिल हुई। यह रहस्य अभी बरकरार है। इस घंटी की मधुर और तेज आवाज हर किसी को आकर्षित कर लेती है। न्यू कलेक्ट्रेट भवन के 100 से अधिक कमरों वाले प्रांगण में इसकी आवाज एक-एक कमरों में सुनाई देती है।