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CM शिवराज का बड़ा फैसला:12 दिन बाद सरपंचों को वित्तीय अधिकार लौटाए, बोले- जनता की ताकत से ही सारे काम होते हैं

मध्यप्रदेशएक वर्ष पहले
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानों को वित्तीय अधिकार लौटाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने 12 दिन बाद ही अपना फैसला पलट दिया। सीएम ने कहा कि जनता की ताकत से ही सारे काम होते हैं, इसलिए प्रधानों को प्रशासकीय अधिकार लौटा रहा हूं। सीएम ने पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत स्तर वित्तीय अधिकार लौटाने की घोषणा की।

सीएम शिवराज प्रशासकीय समिति और प्रधानों के साथ वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानों से कहा कि पंचायत चुनाव डिले हुए तो प्रशासकीय समिति बनाकर आपको दायित्व सौंपा था। अब पंचायत चुनाव में व्यवधान आ गया है। मेरी दृढ़ मान्यता है कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, इसीलिए प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष और सचिव बनाकर आपको जिम्मेदारी सौंपी थी।

शिवराज ने कहा कि गांव में समाज सुधार के आंदोलन चलाएं। सामाजिक समरसता का भाव बने। ग्रामवासी मिल-जुलकर काम करें। पंचायत चुनाव जब होंगे, तब देखा जाएगा। इसमें दो महीने का समय लगेगा या चार महीने का। सीएम ने कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने में प्रधानों से सहयोग की अपील की। कहा कि हमें मैदान में उतरना है। पंचायत स्तर पर कोविड क्राइसिस कमेटी की जिम्मेदारी आपकी है।

रूठों को मनाने की कोशिश

पंचायत चुनाव रद्द होने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के दावेदार रूठे हुए हैं। अब उन प्रधानों को साधने की कोशिश की गई है, जो वित्तीय अधिकार छीने जाने पर BJP सरकार से खफा चल रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में ये प्रधान BJP के समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। बताया यह भी जाता है कि प्रदेशभर में गांव-गांव में फैले इन प्रधानों में बड़ी संख्या BJP समर्थकों की है, इसलिए इनको नाराज करना मुसीबत मोल लेने जैसा है। ऐसे में इन जन प्रतिनिधियों को सोमवार दोपहर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित किया।

शाम को आदेश भी जारी कर दिया गया।
शाम को आदेश भी जारी कर दिया गया।

कांग्रेस बोली- प्रदेश में सर्कस चल रहा

त्रिस्तरीय पंचायतों की प्रशासकीय समितियों व उनके प्रधानों को वित्तीय अधिकारी लौटाए जाने पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि अधिकार पहले दिए जाते हैं फिर वापस लिए जाते हैं। आज फिर पूर्व सरपंचों को वित्तीय अधिकार दे दिए गए। मध्यप्रदेश में सर्कस चल रहा है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि शिवराज सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि उसकी नीति और निर्णय क्या है। क्या कारण है कि निर्णय बार-बार बदले जा रहे हैं। सरकार मजाक बनकर रह गई है।

7 साल से पंचायतों का संचालन कर रहे थे

4 जनवरी को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने आदेश जारी किया। पंचायत चुनाव रद्द होने और आचार संहिता खत्म होने के बाद ग्राम पंचायतों के बैंक खातों के संचालन की व्यवस्था पहले की तरह ही ग्राम पंचायत सचिव और प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से किए जाने के आदेश थे। साथ ही, जनपद पंचायत व जिला पंचायत को भी पहले की तरह अधिकार दिए गए थे। खास बात यह है कि चुनाव नहीं होने के कारण करीब 7 साल से यही पंचायतों का संचालन कर रहे थे।

सरपंच संघ CM से मिला था

15 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास पर सरपंच संघ के प्रतिनिधियों ने शिवराज से मुलाकात की थी। रायसेन जिला पंचायत अध्यक्ष अनीता किरार और रायसेन जिला अध्यक्ष जय प्रकाश किरार के नेतृत्व में यह मुलाकात हुई। इससे पहले यह प्रतिनिधि मंडल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिसोदिया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिला। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अधिकार वापस लिए जाने के कारण सरकार को विरोध झेलना पड़ रहा था। इसमें सीएम को बताया गया था कि अधिकार वापस लिए जाने के कारण कई कार्य अटक गए हैं।