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संडे बिग स्टोरीMP में लोगों के मन की बात बताने वाले बाबा!:मिलने के लिए देना पड़ता है शुल्क; जितनी ज्यादा फीस, उतने जल्दी दर्शन

भोपाल6 महीने पहलेलेखक: संतोष सिंह
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सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी कुछ दिन पहले एक दिव्य दरबार में गई थीं। वहां उन्होंने पूछा कि बाबा मैं चुनाव कैसे हार गई तो बाबा ने कहा तुम्हें तुम्हारी ही पार्टी के एक बड़े नेता ने हरवाया है। जब नाम बताने की बारी आई तो बाबा ने कहा यह हम अकेले में बताएंगे। ऐसा ही एक वीडियो इससे भी पहले सामने आया था जिसमें पुलिस वाले एक बाबा से आरोपी का पता पूछ रहे थे। एक वीडियो ने मप्र की राजनीति में हलचल पैदा की तो दूसरे ने पुलिस महकमे में। प्रदेश में ऐसे कई दरबार हैं जहां लोग दिव्य शक्तियों से अपनी मुराद पाने पहुंचते हैं। संडे स्टोरी में दैनिक भास्कर पेश करता है ऐसे ही बाबा और दरबारों की कहानी।

गुरुशरण महाराज इसी नाम से हो गए प्रसिद्ध
पंडोखर सरकार धाम दतिया जिले में है। दतिया की भांडेर तहसील में ये गांव आता है। पंडोखर में हनुमान मंदिर है। यही हनुमान मंदिर पंडोखर धाम नाम से प्रसिद्ध है। यहां के पुजारी गुरुशरण महाराज पंडोखर सरकार के नाम से फेमस हैं। पंडोखर धाम में हर समय भक्तों का तांता लगा रहता है। खास बात ये है कि पिछले 8 वर्षों से यहां अनवरत रामायण पाठ चल रहा है। इसके लिए अलग-अलग भजन मंडलिया हैं।

ऐसे होता है लोगों की समस्याओं का निदान
पंडोखर सरकार धाम में पर्ची लिखी जाती है। फरियादी बाबा के सामने बैठता है। फिर सवाल पूछता है। बाबा उससे पहले ही उसके जवाब लिख देते हैं। फिर माइक पर इसकी घोषणा होती है। बाबा समस्या का निदान भी बताते हैं। वर्तमान की समस्याओं और भविष्य की परेशानियों से बचने की खातिर हजारों की संख्या में लोग उनके दरबार में पहुंचते हैं। सोशल मीडिया पर पंडोखर सरकार के नाम से कई चैनल और पेज हैं।

बीमारी से प्रेतबाधा तक दूर करने का दावा
पंडोखर सरकार बीमारी से लेकर ग्रह-नक्षत्र और भूत-प्रेत की बाधा सहित हर तरह की परेशानी दूर करने का दावा करते हैं। हवन-पूजन का भी उपाय बताते हैं। ये हवन-पूजन पंडोखर धाम में कराने का शुल्क अलग से देना होता है। इसके लिए शुरुआती शुल्क 27 हजार है, बाकी भक्त की श्रद्धा वो जितना देना चाहे। हर भक्त को पंडोखर सरकार से तीन सवाल पूछने का मौका मिलता है। समस्या का हल वे लिखकर देते हैं। पहले पंडोखर सरकार धाम में श्रद्धालुओं की अर्जी अमावस्या से पंचमी तक की लगाई जाती थी। भीड़ बढ़ने के बाद अब रोज अर्जी लगने लगी है।

बड़े-बडे लाेग आते हैं, इमरती देवी भी पहुंची थीं
पंडोखर धाम में कई बड़े लोग आते हैं। इनमें कई उद्योगपति और नेता भी होते हैं। 5 नवंबर को सिंधिया समर्थक और पूर्व मंत्री इमरती देवी पर्ची पर लोगों का भविष्य लिखने के लिए प्रसिद्ध पंडोखर सरकार के दरबार में पहुंची थीं। इमरती देवी ने बाबा से चुनाव हराने वाले का नाम पूछा, तो पंडोखर सरकार ने जवाब में कहा, वर्तमान में आप जिस पार्टी में हैं, उसी के एक नेता ने आपको हरवाया है। पंडोखर सरकार ने कहा, नाम नहीं बताऊंगा, लेकिन बाद में इसका भी खुलासा कर दूंगा। दोनों पार्टी के कार्यकर्ता और जनता आप पर भरोसा करती है, इसलिए हारने के बाद भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आपने बनाए। इमरती देवी का दूसरा सवाल था कि उनकी नातिन तीन साल की है, बोल नहीं पाती है। बाबा ने इस सवाल का उत्तर दिया कि, जुबान दी गई है। अब नातिन बोलेगी, धाम पर लाएं।

बागेश्वर धाम में 26 वर्षीय धीरेंद्र कृष्ण लगाते हैं दिव्य दरबार
बागेश्वर धाम छतरपुर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर गड़ा गांव में है। यहां हनुमानजी का मंदिर है, जो बालाजी मंदिर के नाम से विख्यात है। इसी गांव के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दावा है कि उनकी तपस्या और गुरु दादाजी महाराज के आशीर्वाद से उन्हें भविष्य जानने की अनुभूति प्राप्त हुई है। वह समस्याओं का निराकरण भी करते हैं। 26 वर्षीय धीरेंद्र कृष्ण गर्ग उर्फ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध हैं। बागेश्वर सरकार भी दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और दूर करते हैं।

पहले हर शनिवार और मंगलवार को बागेश्वर धाम में अर्जी लगाना पड़ती थी। प्रसिद्धि मिली तो यह नियमित हो गया। उनके हर दिव्य दरबार का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण होता है। सोशल मीडिया के चलते वो महज दो साल में सात समंदर पार लंदन तक चर्चित हो चुके हैं। यहां भी फरियादी को प्रश्न करने होते हैं, जिन्हें बाबा पहले से ही पर्ची पर लिख देते हैं। यहां उसे पर्चा लिखना कहा जाता है। वे समस्याओं का निदान भी बताते हैं।

पांच महीने पहले बदला गया नियम
5 महीने पहले बागेश्वर धाम पर हो रहे दिव्य अनुष्ठान के समय घोषणा की गई कि अब बिना टोकन के दिव्य दरबार लगाया जाएगा। इसके बाद बिना टोकन के दरबार लगने लगा। इसका कारण है लोगों को बार-बार टोकन लगाने बागेश्वर धाम आना पड़ता था। नई व्यवस्था के अनुसार महीने के किसी भी एक दिन दिव्य दरबार बिना टोकन के लगाया जा रहा है। इस दिव्य दरबार में बालाजी हनुमान की कृपा से जिसकी भी अर्जी स्वीकार होती है, उसका पर्चा बनता है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कथा और दिव्य दरबार से मिली राशि को बागेश्वर धाम में गरीब कन्याओं के विवाह में खर्च करते हैं। इसके अलावा बागेश्वर धाम में रोज भंडारा आयोजित होता है। यहां पूड़ी-सब्जी के साथ अन्य भोजन सामग्री बांटी जाती है।

टूटी हडि्डयों को जोड़ने वाले तीसरे दरबार की कहानी
कटनी-दमोह रोड पर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर मोहास में हनुमान मंदिर है। इस मंदिर से लोगों की अद्भुत आस्था जुड़ी है। कहते हैं इस मंदिर में टूटी हुई हड्डियां जुड़ जाती हैं। हर मंगलवार और शनिवार को यहां मरीजों की भीड़ लगती है। लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं और दवा खाने के बाद स्वयं चलते हुए जाते हैं। इस मंदिर के पुजारी सरमन पटेल 75 साल के हो चुके हैं। वे ही पिछले 40 साल से दवा दे रहे हैं। इस दरबार में पहुंचने वाले को आंखें बंद करके राम नाम जपना होता है। बंद आंखों के साथ ही पीड़ितों को दवाई खिलाई जाती है। मंदिर के पुजारी अवधेश मिश्रा ने बताया कि पहले लोगों को पता नहीं था। अब बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

ग्राफिक: जितेंद्र ठाकुर
ग्राफिक: जितेंद्र ठाकुर

...ये विधाएं तो हैं कि मन की बात पता चल जाती है
स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज के मुताबिक सनातन धर्म में आध्यात्मिक साधना से अनुभूतियां प्राप्त हो सकती हैं। आध्यात्मिक साधना के आधार पर वो समाज का कल्याण करते हैं। इन दो महापुरुषों के बारे में पूछा है, मुझसे ज्यादा अच्छा ये दोनों महापुरुष अपने बारे में जानते होंगे। मैं किसी के मन की बात नहीं बता सकता। हमारे देश में आध्यात्मिक साधना और प्रक्रियाएं हैं। हमारे यहां संतों को पहले अंतर्यामी बोलते ही थे। अब उस कोटि के संत ये हैं या नहीं, लेकिन ये विधाएं तो हैं कि मन की बात पता चल जाती है। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व, वशित्व ये अष्ट सिद्धि और नौ रिद्धि तो रही है। इनकी चर्चा तो है। पर आज के समय में अष्ट सिद्धि और नौ रिद्धि के साधक हैं या नहीं, ये मुझे नहीं मालूम।

स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज वर्तमान में 'समन्वय सेवा ट्रस्ट हरिद्वार (उत्तराखंड) के ट्रस्टी और समन्वय परिवार ट्रस्ट जबलपुर के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं।
स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज वर्तमान में 'समन्वय सेवा ट्रस्ट हरिद्वार (उत्तराखंड) के ट्रस्टी और समन्वय परिवार ट्रस्ट जबलपुर के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं।

अब जानिए उन अष्ट सिद्धियों के बारे में, जिनसे मन की बात पता चल जाती है

  • अणिमा : अष्ट सिद्धियों में सबसे पहली सिद्धि अणिमा हैं, जिसका अर्थ! अपने देह को एक अणु के समान सूक्ष्म करने की शक्ति से हैं। जिस प्रकार हम अपने नग्न आंखों से एक अणु को नहीं देख सकते, उसी तरह अणिमा सिद्धि प्राप्त करने के पश्चात दूसरा कोई व्यक्ति सिद्धि प्राप्त करने वाले को नहीं देख सकता है। साधक जब चाहे एक अणु के बराबर का सूक्ष्म देह धारण करने में सक्षम होता है।
  • महिमा : अणिमा के ठीक विपरीत प्रकार की सिद्धि है महिमा, साधक जब चाहे अपने शरीर को असीमित विशालता करने में सक्षम होता है। वह अपने शरीर को किसी भी सीमा तक फैला सकता है।
  • गरिमा : इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात साधक अपने शरीर के भार को असीमित तरीके से बढ़ा सकता है। साधक का आकार तो सीमित ही रहता है, परन्तु उसके शरीर का भार इतना बढ़ जाता है कि उसे कोई शक्ति हिला नहीं सकती है।
  • लघिमा : साधक का शरीर इतना हल्का हो सकता है कि वह पवन से भी तेज गति से उड़ सकता है। उसके शरीर का भार ना के बराबर हो जाता है।
  • प्राप्ति : साधक बिना किसी रोक-टोक के किसी भी स्थान पर, कहीं भी जा सकता है। अपनी इच्छानुसार अन्य मनुष्यों के सनमुख अदृश्य होकर, साधक जहां जाना चाहे वहीं जा सकता है और उसे कोई देख नहीं सकता है।
  • प्रकाम्य : साधक किसी के मन की बात को बहुत सरलता से समझ सकता है, फिर सामने वाला व्यक्ति अपने मन की बात की अभिव्यक्ति करे या नहीं।
  • ईशत्व : यह भगवान की उपाधि है, यह सिद्धि प्राप्त करने से पश्चात साधक स्वयं ईश्वर स्वरूप हो जाता है, वह दुनिया पर अपना आधिपत्य स्थापित कर सकता है।
  • वशित्व : वशित्व प्राप्त करने के पश्चात साधक किसी भी व्यक्ति को अपना दास बनाकर रख सकता है। वह जिसे चाहे अपने वश में कर सकता है या किसी की भी पराजय का कारण बन सकता है।