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डाउनलोड करेंमध्यप्रदेश में इस बार पहले आने वाली ठंड देरी से जाएगी। सामान्यत: सर्दी दिसंबर के आखिरी सप्ताह और जनवरी के दो सप्ताह में ज्यादा रही है, लेकिन इस बार इसका जोर फरवरी में भी नजर आएगा। आगामी सर्दियों के मौसम के दौरान ला नीना का प्रभाव रहने के कारण होगा। मौसम वैज्ञानिक जेडी मिश्रा ने बताया कि इस कारण इस बार ठंड के दिन सबसे ज्यादा होने जा रहे हैं। हालांकि अब तक की स्थिति में रिकॉर्ड ठंड नहीं होगी, लेकिन दिन और रात के तापमान कम-ज्यादा होते रहेंगे।
मौसम विभाग ने दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 के दौरान सर्दियों को लेकर अनुमान जताया है। उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों, दक्षिण और उत्तर पूर्व भारत के अधिकांश हिस्सों और हिमालय की तलहटी के कुछ क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से अधिक होने की संभावना है। उत्तरी आंतरिक प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे रह सकते हैं। देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रह सकते हैं। सिर्फ उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों और उत्तर पूर्व भारत के अधिकांश हिस्सों को छोड़कर जहां अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से अधिक होने की संभावना है।
अभी ला नीला कमजोर
मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान में भू-मध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र में ला नीना की स्थिति कमजोर है। नवीनतम मानसून मिशन युग्मित पूर्वानुमान प्रणाली से संकेत मिलता है कि आगामी सर्दियों के मौसम के दौरान ला नीना की स्थिति मजबूत होगी। इसके मध्यम परिस्थितियों में रहने की संभावना है।
दिसंबर में इस बार ऐसा रहेगा तापमान
मध्यप्रदेश में अच्छी ठंड दिसंबर के अंतिम सप्ताह और जनवरी में होती है। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान करीब 15 दिन शीतलहर के होते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक महीने पहले से ठंड आने और नवंबर के अंत में कोहरे के कारण ठंड बढ़ने से दिसंबर और जनवरी में शीतलहर और अति शीतलहर की संख्या बढ़ सकती है।
जनवरी-फरवरी में ओला गिरने की संभावना
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार जनवरी के तीसरे सप्ताह और फरवरी में अधिक ओले गिरने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया के सक्रिय होने के कारण ऐसा होगा। हालांकि, पिछली बार ठंड जनवरी और फरवरी में ज्यादा पड़ी थी, लेकिन दिसंबर अपेक्षाकृत ज्यादा ठंडा नहीं हुआ था। इस बार तीनों महीने में ठंड पड़ने की संभावना है।
मानसून का तीन साल में ट्रेंड बदला
मौसम विभाग के पूर्व निदेशक डीपी दुबे ने बताया कि बीते तीन साल में मानसून का ट्रेंड बदला है। अभी तक सितंबर के अंत तक मानसून की विदाई हो जाती थी, लेकिन तीन साल से यह अक्टूबर में सक्रिय रह रहा है। इसका असर ठंड पर भी पड़ रहा है। इस बार अक्टूबर में ही पश्चिमी विक्षोभ के आने के कारण ठंड अक्टूबर में ही पड़ने लगी। इस कारण ठंड के दिन बढ़ जाएंगे। इसका असर शीत लहर पर भी पड़ सकता है।
इस बार पश्चिमी विक्षोभ (WD) ज्यादा रहेंगे
मौसम विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश में ठंड पश्चिमी विक्षोभ (WD) के आने के कारण पड़ती है। इस बार इनकी संख्या ज्यादा रहेगी। अब तक यह महीने में 3 से 4 आते रहे हैं। इस बार इनकी संख्या 5 तक रहेगी। ऐसे में इस बार ठंड लगातार और अधिक समय तक रहेगी।
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