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डाउनलोड करेंमध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव का मुद्दा गरम है। गांव की सरकार चुनने में पहले ही देरी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर रोक लगा दी। शिवराज सरकार ने कांग्रेस सरकार के समय तय परिसीमन को ही अमान्य कर दिया है। फिर क्या था, राज्य निर्वाचन आयोग ने बीच प्रक्रिया में चुनाव ही रद्द कर दिया गया है। अब आयोग ने एक बार फिर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस पूरे मामले पर सियासत गरमाई हुई है। आखिरी परिसीमन है क्या, इससे गांव से लेकर जिला पंचायत में गणित बनती और बिगड़ती कैसे हैं, जाति इसमें मायने क्यों रखती है? जानिए, सब कुछ आसान शब्दों में...
परिसीमन का अर्थ क्या है?
निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं। सीमाएं तय करने के लिए भौगोलिक रूप से जनसंख्या जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण पक्षों को ध्यान में रखा जाता है।
परिसीमन के लिए समय सीमा क्या है?
हर पांच साल पर परिसीमन होता है।
परिसीमन में राजनीति कैसे होती है?
वर्तमान परिदृश्य में परिसीमन के दो तरह से अर्थ निकाले जाते हैं। पहला प्रशासनिक और दूसरा राजनीतिक परिसीमन। वर्तमान में सरकारें अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के फायदे के लिए इसका उपयोग ज्यादा करती हैं, इसलिए परिसीमन नेताओं के खेल बनाने और बिगाड़ने में ज्यादा उपयोग होने लगा है। इसी वजह से इसका विरोध ज्यादा हो रहा है। ऐसे समझिए ... मान लीजिए किसी जिला पंचायत में एक वार्ड ऐसा है, जिस पर विपक्ष का कब्जा रहता है। उसमें ऐसे गांवों को काटकर दूसरे वार्ड में जोड़ दिया जाता है, जहां विपक्ष के सपोर्टर ज्यादा हैं। उस वार्ड में सत्ता पक्ष अपने सपोर्टर वाले गांव को जोड़ देती है। इससे सत्ता पक्ष के नेता को फायदा पहुंचता है। ऐसे ही दूसरे वार्डों को समीकरण बदल दिया जाता है। ज्यादा वार्ड जिताकर अपना जिला पंचायत अध्यक्ष सरकार बना लेती है।
क्या वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा है परिसीमन?
राजनीति मायने से देखें तो परिसीमन किसी भी नेता का बना बनाया खेल बिगड़ा सकता है, इसलिए इस पर पूरी राजनीति होती है। परिसीमन निर्धारण के राजनीतिक मायने वोट बैंक पर आधारित होते हैं। दलगत होते हैं। कोई भी पार्टी या नेता नहीं चाहता कि उसके इलाके में किसी भी तरह से सेंध लगे। यही वजह है कि परिसीमन पर सभी की नजर टिकी रहती है।
जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्र से प्रभावित नहीं हो सकें। क्षेत्र की सीमा घटने या बढ़ने से समीकरण बन-बिगड़ सकते हैं, इसलिए परिसीमन पर आपत्ति आती है। कई बार मामले कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। यही कारण है कि परिसीमन को लेकर पंचायत चुनाव में जमकर सियासत चल रही है।
भाजपा सरकार ने कांग्रेस के कार्यकाल का परिसीमन निरस्त क्यों किया?
वर्ष 2019 में हुए परिसीमन में मध्यप्रदेश में 1227 नई पंचायतें बनीं और 102 निरस्त हुईं। चूंकि, यह परिसीमन कांग्रेस सरकार के समय हुआ तो इसे बीजेपी सरकार ने निरस्त करा दिया। इसके पीछे मुख्य वजह चुनाव में बीजेपी सपोर्टर्स को नुकसान न हो इसलिए यह परिसीमन रद्द किया गया। अब यह देखना होगा कि बीजेपी में पंचायतों की संख्या में क्या फर्क आएगा?
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