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डाउनलोड करेंनोट: इस खबर का उद्देश्य अंधविश्वास फैलाना नहीं, पाठकों को जागरूक करना है कि वे ऐसे बाबाओं के चक्कर में न पड़ें।
मध्यप्रदेश में सिर्फ बागेश्वर धाम ही नहीं, ऐसे और भी ठिकाने हैं, जहां जादू-टोना से कथित भूत भगाने का दावा किया जाता है। यहां लोगों को पेशी पर बुलाया जाता है। परेशान लोग इस आस में यहां आते रहते हैं कि उनका भूत भाग जाएगा। कहीं लोग जंजीरों में बंधे पड़े हैं तो किसी के हाथ में बाबा का ताला बंधा है। कुछ तो खिड़कियों की सलाखों पर सिर पीटते रहते हैं।
हर अड्डे का अपना दिन होता है। कोई गुरुवार तो कोई शुक्रवार को पेशी पर बुलाता है। यहां आने वाले ज्यादातर गरीब लोग होते हैं, जो अपना इलाज करवाकर टूट चुके होते हैं। यहां आकर वे चमत्कार की उम्मीद करते हैं। पढ़िए ऐसे ही कुछ स्थानों की यह रिपोर्ट…
खंडवा के सैलानी सरकार... अदालत में होती है भूतों की पेशी
सबसे पहले बात करते हैं खंडवा के सैलानी सरकार की अदालत की। इस दरगाह पर केवल भूत भगाने का काम किया जाता है। इसके बदले में लोग यहां चढ़ावा चढ़ाते हैं। यह जगह खंडवा से 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जामली सैयद के सैलानी गांव में है।
जब भास्कर टीम यहां पहुंची तो लोग मत्था टेक रहे थे, कुछ बकरे और मुर्गे की कुर्बानी दे रहे थे। कथित तौर पर भूत-प्रेत के साए में जकड़े लोग अर्जियां लगा रहे थे। कई पीड़िताएं बाल खोलकर परकोटे की जाली को पकड़कर रूह कंपाने वाली आवाजें निकालती नजर आई। कई लोग नौकरी, शादी और संतान सुख की मन्नतें लेकर भी आते हैं। ये लोग मजार पर इत्र, लोभान और चादर चढ़ाते हैं।
मजार की सेवा करने वाले मुजावर इस्माइल खान बताते हैं कि 80 साल पुरानी यह दरगाह उनके पूर्वज अब्दुल रहमान की है। मान्यता है कि इस दरगाह पर कोई जीवित व्यक्ति नहीं, बल्कि समाधि ले चुके अब्दुल रहमान यानी बाबा सैलानी स्वयं कथित भूत-प्रेत को सजा देते हैं। होली से रंगपंचमी तक भूतों की पेशी होती है। होली की आग में भूत-पिशाच जैसी शैतानी ताकतों को भस्म कर दिया जाता है। दरगाह पर गुरुवार को खास दिन माना गया है। इस दिन यहां हजारों की तादाद में लोग आते हैं। सालभर हाजिरी लगाने के साथ-साथ कई लोग लगातार पांच गुरुवार तक भी आते हैं।
भास्कर टीम ने देखा कि कई लोग घर से बोतल में पानी भरकर लाए थे और उसे मजार से टच कराकर पी रहे थे। ऐसा ही कुछ नींबू के साथ करते दिखे। नींबू को मजार से टच करके चूस रहे थे। लोगों का कहना है कि ऐसा करने से भूत बाधा दूर हो जाती है। कुछ लोगों को भरोसा है कि इससे बीमारी खत्म हो जाएगी। इसके बदल में वो चढ़ावा चढ़ाते हैं। यहां सब अपनी मर्जी से देना होता है, दान की कोई रकम फिक्स नहीं है।
बुरहानपुर के संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली जशोदा ने दावा किया कि मुझ पर प्रेत का साया था। जब मजार पर मत्था टेका तो ठीक हो गई, अपने घर लौटती हूं फिर परेशानी शुरू हो जाती है। इस कारण यहीं झोपड़ी बनाकर रहने लगी हूं। मुझे यहां रहते हुए 5 साल हो गए हैं, जब तक बिलकुल ठीक नहीं हो जाऊंगी यही रहूंगी।
हरदा जिले के टिमरनी (पोखरनी) से एक बुजुर्ग दंपती तो सालों से यहां आ रहे हैं। 60 वर्षीय जेबुनबी का दावा है कि उनके शौहर अहमद नूर को सालों पुरानी भूत बाधा है, वे यहां 40 साल से आ रही हैं। परहेज के रूप में बाबा ने गमी की रोटी बंद की थी। शौहर ने एक बार गमी की रोटी खाई तो भूत वापस पीछे पड़ गए हैं।
इंदौर की सुमन बाई अपने पति व बेटे राजेश के साथ रहती हैं। दो महीने से यही है, पति और बेटा यहीं मजदूरी करते हैं। इनके अलावा सिवनी-मालवा के राजेश मोरे हैं, उनके बेटे पर किसी ने कथित जादू-टोना कर दिया। 4 महीने से वे यहीं रह रहे हैं। वे होली का इंतजार कर रहे हैं, ताकि भूत परमानेंट भाग जाए।
दरगाह के बाहर चादर और इबादत के सामान की 25 से ज्यादा दुकानें हैं। इन दुकानों का व्यापार सामान्य दिनों में तो मंदा रहता है, लेकिन गुरुवार के दिन खूब बिक्री होती है। इस दिन एक दुकान पर 7 से 8 हजार रुपए की ग्राहकी होती है।
रायसेन में जाली पकड़ते ही लोग चिल्लाते हैं माफ कर दो
हमारी टीम ने रायसेन के भोपाल मार्ग स्थित हजरत पीर फतेह उल्लाह साहब की दरगाह का रुख किया। यहां भी अमूमन खंडवा जैसे ही हालत थे, लेकिन कुछ चीजें बदली हुई थीं। ये भी कथित रूप से भूत भगाने वाली ही दरगाह है, लेकिन लोग यहां पैसा, नौकरी, शादी और संतान सुख जैसी अर्जी लेकर भी आते हैं।
भास्कर टीम ने देखा कि कुछ पीड़ित यहां आए हैं जिन पर दरगाह के अंदर रखा पानी छिड़का और पिलाया गया। फिर उनसे दरगाह की जाली पकड़ने के लिए कहा गया। कुछ लोगों ने जाली नहीं पकड़ी और कुछ पीड़ितों ने जाली पकड़ी और जोर-जोर से चिल्लाने लगे माफ कर दो…माफ कर दो। मान्यता है कि बीमार लोगों के शरीर में बुरी आत्माएं हैं, जो बाबा से माफी मांग रही हैं।
सिंगरौली : माता के दरबार में पर्ची पर लिखते हैं बीमारियों का इलाज
सिंगरौली जिला मुख्यालय बैढ़न से 10 किलोमीटर दूरी भाड़ी गांव में लगने वाले देवी के दरबार में बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज 215 रुपए में किए जाने का दावा किया जाता है। यहां 65 वर्षीय बाबा रामसिया शर्मा लोगों का इलाज पर्ची पर लिखकर करते हैं।
बाबा खुद को मां आदिशक्ति दुर्गा के भक्त बताते हैं। वे कहते हैं कि मैं अंतर्यामी नहीं हूं। मैं केवल अपने ईष्ट देव का साधक हूं। मेरे पास जो समस्या लेकर आते हैं, माता की कृपा से पर्ची पर उसका समाधान लिख देता हूं।
यहां भी लोगों के बारे में बताया जाता है, लेकिन एकदम सामान्य बातें बताई जाती हैं, जैसे जिसका भला करते हो वो ही धोखा देता है, ग्रह दशा खराब चल रही है आदि। बाबा के इस दरबार में रोज लोगों की भीड़ उमड़ती है। बाबा अपने दरबार में बीमारियों के अलावा जीवन की सभी समस्यों का निदान लिखकर देते हैं।
जावरा की हुसैन टेकरी में कथित भूतों का तैयार हो रहा रजिस्टर
आपने अनेक तरह के रजिस्टर देखे होंगे, लेकिन क्या कभी भूत प्रेत, बुरी आत्माओं, अला-बला की एंट्री करने वाला रजिस्टर देखा है। जावरा के हुसैन टेकरी पर कथित भूत प्रेत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद अब यहां की मैनेजमेंट कमेटी ने एक रजिस्टर तैयार किया है, जिसमें यहां रहने वाले व रोजों पर नियमित हाजरी देने वालों की एंट्री की जा रही है। अब तक 75 ऐसे लोगों का नाम दर्ज किया जा चुका है जो अपने अंदर कथित भूत प्रेत, बुरी आत्मा, जीन्न होने का दावा करते हैं।
रतलाम जिले के जावरा में हुसैन टेकरी पर लोग गंदे पानी के गड्डे में गोते लगाते, मंजन करते व उस गंदगी को पीते हुए देखे जा सकते हैं। खतरनाक भूत प्रेत का दावा कर अनेक लोग जंजीरों से बांध दिए जाते। ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद करीब एक सप्ताह पहले राज्य मानसिक चिकित्सा प्राधिकरण की टीम निरीक्षण करने आई थी। इसके बाद कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने टीम बनाकर हुसैन टेकरी भेजी थी।
हुसैन टेकरी वक्फ प्रबंध कमेटी के सचिव बले खान ने बताया रजिस्टर में इन लोगों के नाम, पते, उनके अंदर क्या परेशानी (भूत प्रेत बाधा आदि) हैं, वे कहां और कब से रह रहे हैं और उनका मोबाइल नंबर व पता भी दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल के बाद जिला प्रशासन अलर्ट तो हुआ, लेकिन कागजी खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हुआ। सब कुछ वक्फ कमेटी के ऊपर छोड़ दिया और अधिकारी फिर अपने कामों में व्यस्त हो गए। एसडीएम हिमांशु प्रजापति का कहना है कि हमने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का सुझाव कमेटी को दिया है, जो जल्द ही लग जाएगा।
मेडिकल साइंस में यह सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी
मेडिकल साइंस कहता है कि भूत-प्रेत कुछ नहीं होते ये सब दिमागी बीमारी की देन हैं। इस बीमारी को सिजोफ्रेनिया कहा जाता है। इसमें पीड़ित अकेला रहने लगता है। वह अपनी सामान्य जरूरतों का ध्यान भी नहीं रख पाता। ऐसा होता है, तो लोग कहते हैं कि उसे भूत ने जकड़ रखा है। कई बार बीमार व्यक्ति मुस्कुराता या बुदबुदाता रहता है। इतना ही नहीं कुछ रोगियों को ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं जो किसी को भी सुनाई नहीं देती हैं।
वह अपने शरीर में कंपन या हरकत करता है। उसे लगने लगता है कि कोई बाहरी ताकत का उसके शरीर पर कब्जा है। वह जोर-जोर से हंसता है। कभी पीड़ित अपने आप को आत्मा, प्रेम, शैतान बताता है तो कभी अपने आप को देवी, देवता, जिन, बताता है। सच्चाई से इसका कुछ लेना देना नहीं होता, यह सब कुछ सिजोफ्रेनिया के कारण होता है। यदि सही मनोचिकित्सक से इलाज किया जाए तो मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। लंबी बीमारी में ट्रीटमेंट लंबा चलता है।
इनपुट
- खंडवा से सावन राजपूत, रायसेन से देव शाक्य, सिंगरौली से देवेंद्र पांडे, जावरा से उमेश शर्मा
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