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डाउनलोड करेंकिशोर न्याय अधिनियम के तहत बालकों की देखरेख, संरक्षण, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों का निपटारा करने जिला स्तर पर बाल कल्याण समिति में दो नए सदस्यों की नियुक्ति हुई है। न्यायिक समिति में इन सदस्यों की नियुक्ति के लिए विशेष याेग्यताओं का प्रावधान है। लेकिन खंडवा में इसका राजनीतिकरण हुआ है। खुलासा ऐसे हुआ कि, नवनियुक्त कमेटी सदस्य पन्नालाल गुप्ता BJP कार्यसमिति में भी सदस्य है। जबकि, कमेटी का मेंबर अन्य कोई पदनाम नहीं ले सकता।
दरअसल, गुरुवार को खंडवा बाल कल्याण समिति में पन्नालाल गुप्ता व विजय राठी ने नए सदस्य के रूप में शपथ ली। शपथ महिला एवं बाल विकास विभाग की सहायक संचालक मीना कांता इक्का ने दिलाई। न्यायिक शक्तियों वाली बाल कल्याण में चार सदस्य व एक सभापति होते है, इनकी नियुक्ति राज्य शासन से होती है। खंडवा की बाल कल्याण समिति न्यायपीठ में अब 5 सदस्य विजय सुनावा अध्यक्ष एवं नारायण बाहेती, मोना दफ्तरी, पन्नालाल गुप्ता एवं विजय राठी सदस्य है। राठी और गुप्ता ने गुरुवार को ही शपथ ली है।
पन्नालाल गुप्ता BJP कार्यसमिति में भी सदस्य
बाल कल्याण समिति में नवनियुक्त सदस्य पन्नालाल गुप्ता, BJP की जिला कार्यकारिणी में सदस्य है। पूर्व में जिला उपाध्यक्ष रह चुके है। पुष्टि BJP के जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल ने की है। इधर, करीब 10 साल पहले सूदखोरी के आरोप भी लगा था। हालांकि, बाद में दोषमुक्त हो गए थे। नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज साक्षात्कार लेते है। जबकि, महिला एवं बाल विकास विभाग की एक रिटायर्ड अफसर को इसके लिए पात्र होकर भी नियुक्ति नहीं दी गई।
मेरा बीजेपी में कोई पद नहीं, पेशे से अधिवक्ता हूं
मैं बीजेपी का सदस्य जरुर हूं लेकिन कोई बड़ा पद नहीं है। पेशे से अधिवक्ता हूं। इससे पहले भी 5 साल तक बाल कल्याण समिति का सदस्य रहा हूं। इस बार भी मेरा साक्षात्कार हुआ है, पूरी प्रक्रिया के तहत नियुक्ति हुई है।
- पन्नालाल गुप्ता, सदस्य - बाल कल्याण समिति
कमेटी सदस्य को 30 हजार प्रतिमाह तक मानदेय
बाल कल्याण समिति के सदस्यों को प्रतिमाह करीब 30 हजार रुपए तक मानदेय मिलता है। विभागीय अफसरों के मुताबिक, कमेटी सदस्य को प्रति बैठक के मान से 1500 रुपए मिलते है। हर सदस्य अधिकतम 20 बैठक कर सकते है। इस लिहाज से 30 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय होता है। सदस्य की नियुक्ति 3 साल के लिए होती है। इस हिसाब से वह 3 साल में 10 लाख 80 हजार रुपए मानदेय राशि शासन से प्राप्त करता है।
बाल कल्याण समिति को मजिस्ट्रियल पॉवर
(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले के लिए किशोर न्याय अधिनियम के अधीन देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक के संबंध में बाल कल्याण समिति गठन करती है। यह समिति न्यायपीठ के रूप में कार्य करती है।
(2) समिति, एक अध्यक्ष और चार ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनती है, जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे और उनमें से कम से कम एक महिला होगी और दूसरा बालकों से संबंधित विषयों का विशेषज्ञ होगा।
(3) जिला मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति का शिकायत निवारण प्राधिकारी होगा और बालक से संबंधित कोई व्यक्ति, जिला मजिस्ट्रेट को अर्जी फाइल कर सकेगा जो उस पर विचार करेगा और समुचित आदेश पारित करेगा।
समिति सदस्यों की नियुक्ति के लिए योग्यताएं
(1) किसी व्यक्ति को समिति के सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक ऐसा व्यक्ति कम से कम सात वर्ष तक बालकों से संबंधित स्वास्थ्य, शिक्षा या कल्याण संबंधी कार्यकलापों में सक्रिय रूप से अंतर्वलित न हो।
या बाल मनोविज्ञान या मनोरोग विज्ञान या विधि या सामाजिक कार्य या समाज विज्ञान अथवा मानव विकास में डिग्री के साथ व्यवसायरत व्यवसायी न हो।
(2) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसके पास ऐसी अर्हताएं न हो, जो विहित की जाएं।
(3) किसी व्यक्ति को सदस्य के रूप में तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा।
(4) राज्य सरकार द्वारा समिति के किसी सदस्य की नियुक्ति, जांच किए जाने के बाद समाप्त कर दी जाएगी, यदि उसने पद का दुरुपयोग किया हो, किसी अपराध में दोषसिद्व हो। वह बैठकों में लगातार अनुपस्थित हो।
संचालनालय भोपाल ने दी है नियुक्ति
बाल कल्याण समिति सदस्यों की नियुक्ति के लिए संचालनालय भोपाल से प्रक्रिया होती है। संबंधित उम्मीदवार शपथ-पत्र और दस्तावेज के साथ ऑनलाइन आवेदन करता है। हाईकोर्ट के रिटायर्ड मजिस्ट्रेट साक्षात्कार लेते है। इसमें हमारा कोई रोल नहीं हाेता है।
- विष्णु प्रताप राठौर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास
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