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डाउनलोड करेंरानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) में एक प्रोफेसर 27 साल बाद लौटे हैं। उन्होंने अपनी ज्वाइनिंग भी दे दी है, पर नियमों का हवाला देकर कुलपति ने पेंच फंसा दिया है। एयर इंडिया अथॉरिटी से रिटायर होने के बाद लौटे प्रोफेसर ने नियमों का हवाला देते हुए ज्वाइनिंग देने की बात कह रहे हैं।
आरडीयू के एमबीए डिपार्टमेंट में सन 1994-95 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर भर्ती हुए शंकर लाल हिंडोलिया ने करीब 27 साल बाद पुन: ज्वाइनिंग का आवेदन दिया है। करीब 60 वर्ष की उम्र में पहुंच चुके हिंडोलिया को पुन: ज्वाइनिंग दी जाए या नहीं, ये आरडीयू प्रशासन भी कुछ तय नहीं कर पा रहा है। प्रोफेसर शंकर लाल हिंडोलिया रादुविवि को छोड़कर एयर इंडिया अथॉरिटी की जिम्मेदारी संभालने चले गए थे। वहां से रिटायरमेंट के बाद प्रोफेसर फिर से आरडीयू पहुंचकर प्रोफेसर की नौकरी करना चाहते हैं।
ज्वाइनिंग के बाद लीगल नोटिस दिया
प्रोफेसर शंकर लाल हिंडोलिया ने बताया कि नियमों के तहत आरडीयू में ज्वाइनिंग दी गई है। अब कुलपति को तय करना है कि वह मेरा वेतन कैसे निकालते हैं। आरडीयू कुलपति, कुलसचिव सहित अन्य को इस संबंध में लीगल नोटिस दिया गया है। कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र के मुताबिक प्रोफेसर शंकर लाल हिंडोलिया ने 27 साल बाद आरडीयू पहुंचकर ज्वाइनिंग का आवेदन दिया है। ज्वाइनिंग को लेकर नियमों को दिखवाया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग से भी मार्गदर्शन मांगा गया है।
प्रोफेसर एसपी गौतम का हवाला दिया
प्रोफेसर शंकर लाल हिंडोलिया ने अपनी ज्वाइनिंग में प्रो. एसपी गौतम की नियुक्ति का हवाला दिया है। एमपी पीएससी चेयरमैन के पद पर काम करने के बाद जब प्रोफेसर एसपी गौतम को वापस विश्वविद्यालय में ज्वाइनिंग दे दी गई थी। जबकि एमपी पीएससी चेयरमैन बनने की ये शर्त होती है कि संबंधित व्यक्ति को अपने पूर्व के सभी दायित्वों से इस्तीफा देना होगा। इस्तीफा देने के बाद उन्हें कार्य परिषद ने वापस ज्वाइनिंग दी है।
आरडीयू से लेकर भोपाल तक हड़कंप
इस प्रकरण को लेकर आरडीयू से लेकर राजभवन तक हड़कंप मचा हुआ है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि असिस्टेंट प्रोफेसर के समर्थन में कई भाजपा के नेता भी खड़े हैं। इस कारण विश्वविद्यालय प्रशासन भी इस मामले में खुलकर कोई बात नहीं कह पा रहा है।
ये फर्जीवाड़ा है, बदलना चाहिए नियम
उधर, इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। युवक कांग्रेस के रिजवान अली कोटी ने आरोप लगाया कि आरडीयू में नौकरी छोड़कर जाने के बाद फिर से नौकरी देने की आड़ में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। सालों से बेरोजगार युवा पढ़-लिखकर प्राइवेट जॉब कर रहे हैं, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है। आरडीयू के प्रोफेसर एक नौकरी से रिटायर होने के बाद फिर से ज्वाइिनंग ले लेते हैं।
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