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15 नवम्बर : जनजातीय गौरव दिवस:खरगोन के आदिवासियों का मेहमानों की तरह स्वागत-सत्कार, अलग-अलग दलों में पहुंचे इंदौर

इंदौरएक वर्ष पहले
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तिलक लगाकर किया अभिनंदन। - Money Bhaskar
तिलक लगाकर किया अभिनंदन।

भोपाल में 15 नवंबर को होने वाले जनजातीय महासम्मेलन को लेकर इंदौर में भी खासा उत्साह है। यहां खरगोन के दो हजार आदिवासियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। रविवार देर शाम इन आदिवासियों का अलग-अलग दलों में बसों से पहुंचना शुरू हो गया है। इंदौर पहुंचते ही इनका मेहमानों की तरह स्वागत-सत्कार किया गया। उन्हें पुष्प मालाएं पहनाई गई तथा तिलक लगाकर उनकी अगवानी की गई।

माता गुजरी कॉलेज में स्वागत की तैयारी।
माता गुजरी कॉलेज में स्वागत की तैयारी।

इन आदिवासियों को 15 नवम्बर की सुबह 60 बसों से रवाना किया जाएगा। साथ ही भोजन के पैकेट भी दिए जाएंगे। बसों के साथ में प्रभारी अधिकारी और दल प्रभारी भी रहेंगे। इन्हें पेयजल के लिए पानी की बोतल भी पर्याप्त संख्या में साथ दी जाएएगी। व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग के लिए इंदौर में 13 स्थान रखे हैं। अधिकांश स्थल दूरस्थ बायपास स्थित कॉलेज, होस्टल आदि हैं ताकि सुबह भोपाल जाने के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो। इनमें पोस्ट मैट्कि पिछड़ा वर्ग कन्या छात्रावास (असरावद खुर्द) खण्डवा रोड, सरकारी आवासीय एकलव्य विद्यालय (मोरोद), सरकारी आवासीय ज्ञानोदय विद्यालय (मोरोद), माता गुजरी कॉलेज (बायपास), भण्डारी रिसोर्ट (बायपास), अग्रसेन धर्मशाला (बायपास), नेहरू स्टेडियम, पंचायत प्रशिक्षण केंद्र (राऊ), आकांक्षा बालकस छात्रावास, देवी अहिल्या विवि के पीछे, लाभ गंगा गार्डन (बायपास), सेज यूनिवर्सिटीज बायपास व एपीजी अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी हैं। इन स्थानों पर रविवार शाम से मेडिकल की टीमें सक्रिय रहेंगी। इसके साथ ही आवश्यक दवाएं, चिकित्सा सामग्री व चलित मेडिकल वाहन तैयार रहेंगे।

भोपाल में महू के मांदल की थाप गूंजेगी

कलेक्टर मनीष सिंह ने जहां एक ओर लगातार समन्वय और मॉनिटरिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं दूसरी ओर कंट्रोल रूम बनाकर भी लगातार निगरानी और समन्वय रखा जाएगा। प्रत्येक प्रतिभागी को पहचान के लिए पहचान पत्र भी दिए गए है। महू से भी विशेष रूप से बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के नागरिक शामिल हो रहे हैं। इनमें से अनेक लोग परम्परागत वेशभूषा में जाएंगे। वे अपने साथ ढोल मांदल भी ले जा रहे हैं। इन ढोल मांदल की थाप भोपाल के जनजातीय सम्मेलन में गूंजेगी।