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डाउनलोड करेंइंदौर ने लगातार 5वीं बार सफाई में नंबर-1 का खिताब बरकरार रखा है। 35 लाख की आबादी वाले इंदौर ने सफाई में रोल मॉडल बनने की शुरुआत सड़क सफाई से की। मुहिम डोर-टू-डोर कचरा कलेक्ट करने तक बढ़ी और 2017 में पहली बार इंदौर ने देश के सबसे साफ शहर का खिताब जीता। 2020 आते-आते इंदौर साफ-सुथरा तो हो ही चुका था, अब बारी थी कचरे से कमाई की।
इस साल इंदौर में कचरे को रीसाइकिल कर खाद बनाने की शुरुआत की गई। इसे किसानों और बागवानी करने वालों को बेचा गया। इससे नगर निगम ने सालाना डेढ़ करोड़ की कमाई की। 2021 में इंदौर में कचरे से गैस बनाना शुरू हुआ। इस साल कचरे से 20 करोड़ रुपए साल भर में कमा लिए। वॉटर प्लस के साथ इंदौर ने गारबेज फ्री सिटी का खिताब भी अपने नाम किया।
कचरे की प्रोसेसिंग से इस तरह कमाई
इंदौर लगातार यूं बना नंबर-1
2017: कचरा कलेक्शन (डोर-टू-डोर)
इंदौर पहली बार नम्बर वन बना। चुनौती थी कि हर घर से कचरा उठे। कचरापेटियां हटें। निगम ने यह कर दिखाया।
2018: सेग्रीगेशन (गीला-सूखा)
गीले, सूखे कचरे को अलग-अलग लेने लगे। खुले में शौच मुक्त कर ओडीएफ प्लस का अवॉर्ड जीता।
2019: जीरो वेस्ट (ट्रेंचिंग ग्राउंड)
हैट्रिक के लिए निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड में सालों से फैले 12 लाख मैट्रिक टन कचरे के पहाड़ को खत्म किया।
2020: कचरे की इकोनॉमी (41.5 करोड़)
कचरा शुल्क से 40 करोड़ और कचरे से कच्चा माल तैयार कर 1.5 करोड़ सालाना कमाई की।
2021: सीवरेज ट्रीटमेंट (वॉटर प्लस)
21.3 km लंबी कान्ह और 12.4 km की सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया। 6 प्रमुख नालों सहित 137.28 km में बहने वाले सीवरेज को प्रोसेस किया गया। नदी-नालों में गंदगी बहने से रोका।
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