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8 बीघा में 4 लाख का मुनाफा:पारंपरिक खेती छोड़ गोभी उगाई; गुना से इंदौर, कोटा तक सप्लाई

गुना6 महीने पहलेलेखक: आशीष रघुवंशी
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सर्दियों के सीजन में सबसे ज्यादा कोई सब्जी मार्केट में दिखाई देती है तो वो है फूल गोभी, लेकिन एक किसान ऐसा भी है जो गोभी के अलावा किसी और की खेती नहीं करता। सालभर वो गोभी के भरोसे रहता है और गोभी भी उसका भरोसा नहीं तोड़ती। यही कारण है कि यह किसान आज गोभी की बदौलत मालामाल हो चुका है।

एक समय था, जब यह किसानी पारंपरिक खेती करता था। फिर इसने गोभी लगाना शुरू किया और नतीजा सामने हैं। स्मार्ट किसान में आज पढ़िए राघोगढ़ के किसान मनीष चौधरी की स्मार्ट खेती का किस्सा।

पारंपरिक खेती में लागत ज्यादा मुनाफा कम था मनीष के दादाजी पारंपरिक खेती करते थे। उनके खेतों में अनार, अमरूद, देसी नारियल तक के पेड़ थे। वर्षों से उनका परिवार पारंपरिक खेती ही करता चला आ रहा था। परेशानी यह थी कि परंपरागत खेती में लागत बढ़ती जा रही थी और मुनाफा कम होता जा रहा था। ऐसी स्थिति में ऐसे विकल्प की तलाश थी, जिसमें लागत कम आए और मुनाफा भी अधिक हो।

लागत 22 हजार मुनाफा 70 हजार
मनीष ने बताया कि भाव जैसा मिलता है, उस हिसाब से ही मुनाफा होता है। पिछले दो वर्षों से 8 बीघा में लगभग 4 लाख का मुनाफा ले रहे हैं। आमतौर पर गोभी की कीमत 18 से 20 रुपए प्रति किलो होती है। अगर ऑफ सीजन हो तो 13 से 15 रुपए किलो भाव मिल जाता है। डिमांड ज्यादा रही तो 25 रुपए किलो तक का भाव आसानी से मिल जाता है। एक बीघा में लगभग 20 से 22 हजार रुपए की लागत आती है। बीज, हकाई-जुताई, सिंचाई, मजदूरी मिलाकर 20 से 22 हजार रुपए खर्च होते हैं। दाम अच्छे मिले, तो एक बीघा से मुनाफा 60 से 70 हजार रुपए तक होता है।

राजस्थान तक जाती है फसल
गुना के राघोगढ़ की गोभी प्रदेश के कई जिलों के अलावा राजस्थान तक भेजी जाती है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के अलावा राजस्थान के कोटा, छबड़ा तक गोभी की सप्लाई होती है। मनीष बताते हैं कि इससे और लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। निंदाई करने के लिए मजदूरों की जरूरत होती है। फिर फसल की कटाई में भी मजदूर लगते हैं। ऐसे में उन्हें भी रोजगार मिलता है। इसके अलावा कटाई के दौरान जो पत्ते निकलते हैं, उन्हें मवेशी बड़े चाव से खाते हैं। आसपास के लोग उनके खेत पर आकर ये पत्ते ले जाते हैं।

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90 में से 75 किसान उगा रहे सब्जियां, सब मालामाल

भटोदिया गांव गुना जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर बसा है। यहां की आबादी करीब 600 है। गांव के एक-दो घर छोड़ दें तो सभी घर कच्चे थे। भटोदिया के किसान 2014 से पहले पारंपरिक खेती करते थे। गेहूं, सोयाबीन, चना आदि फसलें ही उगाते थे। लागत और आमदनी के बीच का अंतर लगातार कम हो रहा था। ऐसे में गांव के किसान विकल्प की तलाश कर रहे थे। 2014 में यहां के रहने वाले बनवारी लोधा ने पारंपरिक खेती छोड़ने का मन बनाया। यहां से बदलाव की शुरूआत हो गई। आज गांव में 90 प्रतिशत घर पक्के बन चुके हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

गुलाब से रोज 6 हजार रुपए कमाता है किसान

गुना शहर के कोकाटे कॉलोनी में रहने वाले 27 साल के इंजीनियर अनिमेश श्रीवास्तव। भोपाल से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी शुरू की। तभी किसी दोस्त के पॉली हाउस में पहुंचे। दोस्त के एक आइडिया ने उनकी किस्मत बदल दी। यहीं से उनका रिश्ता मिट्‌टी से जुड़ गया। उनके पॉली हाउस में लगाए गए गुलाब की महक दुबई और बांग्लादेश तक पहुंच रही है। वे रोजाना 5-6 हजार रुपए के गुलाब जयपुर और दिल्ली भेज रहे हैं। रोज 60-70 बंडल फूलों का उत्पादन हो रहा है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

15 लाख का पैकेज छोड़ा,अब 15 लाख महीना कमाई

खेती भी लाभ का धंधा है... इस वाक्य को MP के कई किसान सच साबित कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं धार के अनिल मुकाती। जिन्होंने MNC (मल्टी नेशनल कंपनी) में 15 लाख के सालाना पैकेज की रीजनल मैनेजर की नौकरी छोड़कर सब्जी उगाने का बीड़ा उठाया। सब्जी उगाते-उगाते उन्होंने एक नया प्रयोग करते हुए मिर्च के पौधे उगाकर उसे बेचना शुरू किया। 5 साल में उनकी कमाई लाखों में पहुंच गई। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

किराए की जमीन पर शुरू की खेती...आज फार्म मालिक

किराए की जमीन पर खेती शुरू कर करने वाले सागर के युवा किसान आकाश चौरसिया की मल्टी फार्मिंग पद्धति नजीर बन गई है। आज तिली गांव में उनका 16 एकड़ का फार्म है। यह युवा किसान पिछले 5 साल से खेत में एक साथ 4 तरह की फसलों को उगा रहा है। इससे हर साल 4 से 5 लाख रुपए की कमाई हो रही है। मल्टी फार्मिंग के तहत पूरे साल फसल की पैदावार हो रही है। यह खेती छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है। आकाश चौरसिया बताते हैं... पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...