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निकाली 6 दिवसीय तिरंगा पद यात्रा:31 जनवरी को होगी खत्म, ग्रामीणों ने संभाला आंदोलन का मोर्चा

छतरपुर (मध्य प्रदेश)2 महीने पहले
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प्रशासन की मनमानी के खिलाफ प्रभावितों का आक्रोश सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। कई ज्ञापन और प्रदर्शन के बावजूद भी जब प्रशासन अपनी मनमानी से बाज नहीं आया तो 15 गांव के जागरूक प्रभावितों ने बैठक कर सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में 26 जनवरी से 31 जनवरी तक 6 दिवसीय तिरंगा पद यात्रा की घोषणा कर दी।

यात्रा संयोजक जमुना ओमरे ने बताया कि यात्रा 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को ढोड़न से प्रारंभ हुई, जो पालकौहा पहुंची जहां रात्रि विश्राम हुआ, यात्रा 28 को केन नदी पार कर खरयानी, मैनारी से पर्वत पर कर बृजपुरा पहुंची जहां यात्रा ने रात्रि विश्राम किया।

29 को यात्रा नरौली, पाठापुर, डुगरिया, हेते हुए कदवारा विश्राम करेगी, 30 को कुपी शाहपुरा, बसुधा, घुघरी से होते हुए भौरखुआ में रात्रि विश्राम करेगी। 31 को पद यात्रा सुकवाहा पहुंचेगी जहां प्रभावितों की महापंचायत होगी महापंचायत के बाद सांकेतिक जल सत्याग्रह किया जाएगा।

यात्रा के सह सयोजक ब्रजेन्द्र मिश्रा व पलकौहा सरपंच जगन्नाथ यादव ने बताया कि यात्रा ग्रामीणों की खुद के संकट के लिए निकाली जा रही इसलिए यात्रा को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है।

क्यों निकाली जा रही यात्रा

यात्रा के नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि केन बेतवा लिंक प्रभावितों द्वारा कई ज्ञापन और प्रदर्शन के बावजूद जिला प्रशासन अपने मनमाने रुख पर उतारू है और प्रभावितों के संवैधानिक अधिकारों की हत्या कर रहा है।

केन बेतवा लिंक प्रभावित गांवों का अधिग्रहण जिस कानून के तहत किया जाना है उसका नाम "भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्‍यवस्‍थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013" यह कानून प्रभावितों की सहभागिता उन्हें उचित मुआवजा और पूरी पारदर्शिता की बात करता है, हर निर्णय ग्राम सभा, आम सभा में लेने और अनुसूचित क्षेत्रों में तो विचार - विमर्श पंचायत की बात करता है पर सरकार और प्रशासन प्रभावितों के साथ निर्णय लेने उनकी राय लेने की बात तो दूर उनको जानकारी तक नहीं देते।

प्रभावित क्षेत्र की आम जनता तो दूर, सरपंच, जिला, जनपद सदस्य जैसे जनप्रतिनिधियों तक को नहीं पता उनके यहां कब प्रारंभिक अधिसूचना (धारा 11) लगी, अभी कौन सी धारा लगी है। अमित का कहना है कि जिनका घर संसार उजड़ रहा हो उनके साथ ऐसा व्यवहार कभी अंग्रेजों ने तक नहीं किया जैसा व्यवहार सरकार व उनके अधिकारी कर रहे।

आजाद भारत में जबकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है, ऐसे समय मे लोगों के संवैधानिक अधिकारों की हत्या नही सहेंगे। इस लिए हमने अपने संविधान की रक्षा के लिए गणतंत्र दिवस से इस पद यात्रा प्रारंभ की और हमारा नारा है कि "पहले लड़े थे गोरों से अब लड़ेंगे चोरों से।"

ये यात्रा में शामिल

खरयानी सरपंच रतीराम अहिरवार, पल्कोहा सरपंच सावित्री जनन्नाथ यादव, पल्कोहा से पूर्व सरपंच जमुना ओमरे, बिजावर से वार्ड नंबर 9 कि पार्षद दिव्या अहिरवार, कुपिया से पूर्व सरपंच बहादुर आदिवासी, हिसाबी राजपूत, पूरन राजपूत, हनुमत राजगोड़, वृंदावन पाल, मोहन पाल, शंकर सिंह परमार, दशरथ रैकवार, मानक रैकवार, उमेद पटेल, तुलसी आदिवासी, नत्थू रैकवार, गोलू राजा परमार, अखिलेश यादव, जगदीश पुजारी, अरविंद आदिवासी, तिलोक आदिवासी, लक्ष्मी प्रसाद यादव, राजकुमार सिंह, सचिन चौबे, सुखी रैकवार, संतोष अनुरागी, चंगे यादव, पुष्पेंद्र दुबे, हरिप्रसाद यादव, देवेंद्र बंसल, अनिल विश्वकर्मा, रमेश यादव, बिहारी आदिवासी, मुन्ना यादव, मनोहर अहिरवार, लोकेंद्र यादव, बसंत आदिवासी, शिवरतन यादव, रामसेवक यादव, हरिदास अहिरवार, अजय आदिवासी, विजय आदिवासी, राजेश रैकवार, कल्लू यादव, कमलेश आदिवासी आदि हैं।

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