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डाउनलोड करेंसब गोलमाल है... की कहावत अशोकनगर सहकारिता विभाग के लिए एकदम फीट है। यहां कलेक्टर के आदेश तक को हवा में उड़कर विभाग को चूना लगाने का मामला सामने आया है। चना खरीदी में गड़बड़ी साबित होने पर जिस संस्था प्रबंधक को तत्कालीन कलेक्टर ने निलंबित कर दिया। वहीं बाद में संस्था चलाता रहा। मामला विपणन सहकारी संस्था ईसागढ़ का है। यहां चना, मसूर की समर्थन मूल्य पर हुई खरीदी के दौरान साल 2018-19 में गड़बड़ी उजागर हुई।
समर्थन मूल्य पर खरीदे गए चने के भंडारण के नाम पर वेयर हाउस भेजी गई बोरियों की जांच करने पर उनमें 5-5 किलो वजनी पत्थर निकले। इस पर तत्कालीन कलेक्टर बीएस जामौद ने संस्था प्रबंधक अखिलेश शर्मा को 23 अप्रैल 2018 को निलंबित कर दिया। साथ ही विपरण सहकारी संस्था ईसागढ़ को खरीदी कार्य के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया। वहीं ब्लैक लिस्टेड व बगैर प्रबंधक वाली संस्था को 600 बोरी डीएपी भी अलॉट कर दी।
अफसरों का कारनामा
बोवनी के समय जब डीएपी की डिमांड ज्यादा थी। उस समय सोसायटियों को खाद वितरित करने वाले जिम्मेदारों ने उक्त ब्लैक लिस्टेड व बगैर प्रबंधक वाली संस्था को 600 बोरी डीएपी अलॉट कर दिया। लेकिन वितरण के लिए लॉग इन आईडी ओपन नहीं होने के कारण जरूरत के समय 4-5 दिन तक डीएपी का वितरण नहीं हुआ।
खाद वितरण के लिए भी ऐसा दांव
विपणन सहकारी संस्था ईसागढ़ में रखी उक्त 600 बोरी डीएपी को सेवा सहकारी संस्था पिपरिया ट्रांसफर कर दिया। जहां निलंबित रहते हुए संस्था चला रहे अखिलेश शर्मा के चचेरे भाई महेंद्र शर्मा प्रबंधक है। जहां से एक दिन में 600 बोरी वितरण कर दिया गया।
कलेक्टर का यह आदेश हवा मे : तात्कालीन कलेक्टर का संस्था प्रबंधक के निलंबन वाला आदेश संबंधितों ने हवा में उड़ा दिया और निलंबन के बाद भी संस्था प्रबंधक अखिलेश शर्मा काम करते रहे। मामला गर्माने के बाद सहकारिता विभाग ने यहां प्रशासक नियुक्त कर दिया। लेकिन फिर भी काम संबंधित निलंबित प्रबंधक शर्मा के हिसाब से ही होता रहा।
पूर्व डायरेक्टर का आरोप : निलंबित प्रबंधक व अध्यक्ष ने मिलकर संस्था पर किया कब्जा
विपणन सहकारी संस्था ईसागढ़ के पूर्व संचालक व प्रदेश उपाध्यक्ष सहकार भारती मप्र राजीव जैन (जाट) ने आरोप लगाया हैं कि उक्त संस्था को खाद्य माफिया व सरगना निलंबित प्रबंधक अखिलेश शर्मा व अध्यक्ष अनुराधा शर्मा जो प्रबंधक की भाभी लगती है ने पूरी तरह से हाईजैक कर रखा है। कलेक्टर द्वारा की गई कार्रवाई के बाद अध्यक्ष ने दो साल तक संचालक मंडल की बैठक ही नहीं बुलाई। इस बीच वे निलंबित प्रबंधक के साथ मिलकर काम करते रहे। संचालक राजीव जैन ने निलंबित प्रबंधक, अध्यक्ष व पिपरिया समिति प्रबंधक के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग की है।
जवाब टालते दिखे सहकारिता उपायुक्त
सहकारिता उपायुक्त रवि द्विवेदी ने उक्त मामले में जवाब टालते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि उक्त संस्था सिर्फ खरीदी कार्य के लिए ब्लैक लिस्टेड थी। खाद वितरण के लिए लाइसेंस ले लिया था। इस कारण संस्था को खाद अलॉट किया गया। वैसे इस मामले में यह भी देखना पड़ेगा कि ब्लैक लिस्टेड संस्था थी या प्रबंधक। रही बात निलंबन के बाद भी प्रबंधक के काम करने की तो संचालक मंडल को उसी दौरान एक्शन लेना था।
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