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डाउनलोड करेंश्री विजयरामधाम खनेता में चल रहे सनातन धर्म महासमागम में आए शंकराचार्यों ने चौथे दिन गायों की दुर्दशा को लेकर चिंता व्यक्त की। बद्रिकाश्रम (हिमालय) पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि आज लोग गाय को डंडा मार रहे हैं। गाय सड़क किनारे खड़ी होकर दुखी होती रहती है। कोई इनकी दुर्दशा देखने को तैयार नही है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति है कि गौ माता की सेवा करो। बेल से खेती करो। बैल यदि खेत में मूत्र विसर्जित करेगा तो खेत की उर्वरा शक्ति बढेगी। जबकि ट्रैक्टर डीजल फैलेगा तो फसल जलेगी।
वे सनातन धर्म महासमागम के सम्मेलन में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर भानपुरा पीठ के शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ, विजयरामधाम खनेता के मंहत रामभूषणदास महाराज सहित अन्य संतजन मंचासीन थे। कार्यक्रम में शंकराचार्य वासुदेवानंद ने कहा कि आज लोग गोबर को छूने से डरते हैं। जबकि गोबर और गौमूत्र से स्नान करने पर खाज, खुजली जैसा कोई रोग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एक ब्रह्मचारी थे, जिन्होंने काशी से मानसरोवर तक तीन बार पैदल यात्रा की। वे गौबर और गोमूत्र से स्नान करते थे। शंकराचार्य ने वृद्धों को लेकर कहा आज लोग वृद्धों को वृद्धाश्रम भेज देते हैं। लेकिन वे यह नहीं सोचते हैं कि कल वह भी वृद्ध हो जाएंगे। तब उन्हें भी वृद्धाश्रम में रहना पडेगा।
श्रवणानंद बोले- जीवन में एक लक्ष्य होना चाहिए, तभी मिलेगी सफलता
खनेता धाम में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास श्रवणानंद ने श्रोताओं को कथा रसपान कराते हुए कहा कि जीवन में एक लक्ष्य होना चाहिए। लक्ष्यहीन जीवन जीने से कोई फ़ायदा नहीं है। जितना बड़ा लक्ष्य होता है, उतनी बड़ी सहनशक्ति होती है। उन्होंने कहा कि इष्ट एक ही होना चाहिए। लेकिन विचार यह होना चाहिए कि हमारे इष्ट सभी में समाए हैं और सब हमारे इष्ट में समाएं हैं। श्रवणानंद ने श्रोताओं को बताया कि समाज यदि किसी व्यक्ति को पद देता है। सम्मान देता है, तो उससे पारदर्शिता चाहता है। राजा संपूर्ण समाज का होता है। वह किसी एक का नहीं होता उसको सबके लिए सोचना पड़ता है।
चार दिन में आए ढाई सैकड़ा से अधिक संत, एक हजार रुके हैं
विजयरामधाम खनेता में चल रहे सनातन कुंभ में साधु संतों के आने का सिलसिला लगातार जा रही है। बीते चार दिनों में खनेता धाम में 250 से महंत, महामंडलेश्वर, मंदिरों के अध्यक्ष सनातन धर्म महासमागम में शामिल हो चुके हैं। वहीं करीब एक हजार से साधु संत खनेता में रुके हुए हैं। इसके अलावा इन साधु संतों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। वहीं गुरुवार को खनेता में सवा लाख से अधिक श्रद्धालु सनातन सम्मेलन में पहुंचे। वहीं शाम के समय धाम में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
शंकराचार्य ज्ञानानंद बोले- पैरों से लाचार हो गया था, पंचगव्य के सेवन से ही चल पाया
खनेता धाम में सनातन धर्म महासमागम में श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए भानपुरा पीठ के शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ ने बताया कि 1997 में उनके ऊपर हमला हुआ। उनकी सुरक्षा में लगा एक सुरक्षाकर्मी भी मारा गया। वह पैरों से चल नहीं पा रहे थे। देश के कई अस्पतालों में उनका इलाज हुआ। लेकिन आराम नहीं मिल रहा था। तभी एक वैद्य ने उन्हें पंचगव्य का सेवन करने के लिए कहा। इसका परिणाम आज यह है कि वह बिना किसी डंडे और वेशाखी के चल रहे हैं। शंकराचार्य ज्ञानानंद ने कहा कि गाय महिमा अपारा है।
हमारी प्राचीन संस्कृति है। हम अन्न का पहला कोर गाय के लिए निकालते हैं। उन्होंने कहा कि किसी की मानसिक व्यवस्था विकृत हो रही है तो गाय के दूध में तुलसी का संयोग कर अपने ईष्ट को अर्पण कर प्रसाद के रुप में ले। जीवन में उत्कृष्टता आएगी।
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