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डाउनलोड करेंभिंड जिले की लहार तहसील के अंतर्गत आने वाले दबोह नगर के पास स्थित रेंहकोला मंदिर पर शुक्रवार 3 फरवरी को मां रणकौशला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष माघ महीने की तेरस तिथि के दिन से मां रणकौशला का जन्मोत्सव मनाया जाता है। रणकौशला माता मंदिर के पुजारी हलधर पंडा ने बताया कि जन्मोत्सव कार्यक्रम की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकीं हैं।
शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से माता का अभिषेक किया जाएगा। उसके बाद दोपहर 1 बजे महाआरती की जाएगी और इसके बाद हवन एवं पूर्णाहुति होने के बाद दोपहर 2 बजे से विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। मां रणकौशला के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शुक्रवार को हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे।
वीर मलखान ने करवाई थी माता की स्थापना
यहां देवी दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना आल्हा-ऊदल के बड़े भाई और सिरसा राज्य के सामन्त वीर मलखान एवं उनकी पतिव्रता पत्नी गजमोतिन ने करवाई थी। मंदिर से पूर्व दिशा में चार किलोमीटर की दूरी पर पहूज नदी के किनारे सिरसा रियासत की प्राचीन गड़ियों के भवनावशेष आज भी मिलते हैं।
बताया जाता है कि सिरसा की गढ़ी की बावड़ी से लेकर रेहकोला देवी के मंदिर तक चार किलोमीटर लम्बी भूमिगत सुरंग भी है। इससे होकर मलखान अपनी पत्नी गजमोतिन के साथ बावड़ी में स्नान के बाद देवी मंदिर तक आते थे।
ब्रह्म मुहूर्त में होती थी पूजा-अर्चना
बताया जाता है कि वीर मलखान प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में पत्नी गजमोतिन के साथ देवी की पूजा-अर्चना किया करते थे। अंचल में आज भी मान्यता है कि मलखान आज भी सूक्ष्म शरीर से माता की पूजा अर्चना के लिए प्रतिदिन मंदिर में आते हैं। आज भी प्रतिदिन सुबह गर्भगृह में देवी की प्रतिमा पर जल चढ़ा हुआ मिलता है।
इससे लोगों की इस मान्यता को बल मिलता है। बहुत समय पहले सिरसा की बावड़ी में जल स्तर बढ़ जाने से मन्दिर के गर्भगृह की ओर जाने वाले दरवाजे जलमग्न होकर लुप्त हो गए हैं। मंदिर के गर्भगृह में जगदंबा दुर्गा की आदमकद और मोहक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है।
हजारों की संख्या में दर्शन करने पहुंचेगें भक्त
मां रणकौशला देवी का जन्मदिन उत्सव बड़े ही धूमधाम और हर्ष के साथ मनाया जाएगा। पूर्ण रूप से भक्ति में मग्न होकर इसमें मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी भक्तगण मां के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मन मांगी मुराद पाते हैं।
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