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डाउनलोड करेंपिछले 27 सितंबर को छत्तीसगढ़ सीमा के मनेंद्रगढ़ वन परिक्षेत्र से आए 40 हाथियों का समूह मध्यप्रदेश के वन परीक्षेत्र, जिला अनूपपुर के टांकी, मलगा, आमाडाड, फुलवारीटोला सैतिनचुआ, डूमरकछार, बैगानटोला सहित दर्जनों गांव में सैकड़ो किसानों के खेतों में लगी धान और अन्य तरह की फसलों को अपना आहार बनाकर तथा आहार की तलाश में 15-20 घरों की दीवारें, मकान में तोड़फोड़ कर, दो मवेशियों को मारने के बाद 54 दिन बाद 40 हाथियों का समूह शनिवार देर रात छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा में प्रवेश कर गया है।
जो सोमवार सुबह जिले के खंडवा वन क्षेत्र अंतर्गत सकड़ा, बेलबहरा गांव के जंगल में पहुंच कर रुके हुए हैं। हाथियों के समूह का लगभग दो माह तक कोतमा क्षेत्र के गांव में खेतों का नुकसान करने पर जिला प्रशासन और राजस्व विभाग द्वारा अब तक 28 लाख रुपए से अधिक का मुआवजा भुगतान किया जा चुका है। शेष नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। हाथियों के चले जाने से ग्रामीण किसानों में राहत आई है। 54 दिनों के मध्य तीन मादा हाथियों ने तीन नवजात हाथियों के बच्चे को जन्म दिया है। हाथियों के चले जाने से जिससे आमजन ने राहत की सांस ली है। जानकारी के अनुसार, 20 नवंबर रात 11 बजे के लगभग हाथियों का समूह टांकी के महानीम जंगल से निकलकर बैगानटोला होकर वन परीक्षेत्र मनेंद्रगढ़ के भौता बीट के जंगल में प्रवेश कर गए। जो धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए कोरिया के खाड़गवा वन परीक्षेत्र जो मध्य प्रदेश की सीमा से 15-16 किलोमीटर दूर पहुंच गए हैं।
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