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डाउनलोड करेंबैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त रहे जयनारायण जी उपाध्याय (छोटे बापजी वकील साहब) का जन्मोत्सव रामनवमी पर धूमधाम से मनाया जाएगा। इसको लेकर भक्तों ने मंदिर परिसर में गर्भ ग्रह के ठीक सामने लगी उनकी प्रतिमा का रंगरोगन किए जाने के साथ तैयारी प्रारंभ कर दी है।
किवंदती है कि जयनारायण बापजी की वकील साहब के स्थान पर स्वयं महादेव ने कोर्ट परिसर में उनकी जगह पैरवी की थी। नित्यानंद भक्त मंडल आगर मालवा और नित्यानंद ट्रस्ट धार, खंभात, शाजापुर के तत्वावधान में इस दिन अनेक धार्मिक आयोजन यहां किए जाएंगे।
बापजी के वंशज कार्तिकेय उपाध्याय ने बताया कि भक्त मंडल आगर और नित्यानंद ट्रस्ट की ओर से बापजी के जन्म उत्सव की तैयारी शुरू कर दी है। मंदिर परिसर में रेलिंग का कार्य एवं कलाकार वैभव सोनी एवं निलेश सोलंकी बापजी की प्रतिमा को सुंदर स्वरूप देने के लिए सौंदर्य करण का कार्य कर रहे है। रामनवमी तिथि पे छोटे बापजी श्री के जन्म उत्सव के उपलक्ष्य पर विशेष श्रृंगार करवाया जाएगा।
गर्भगृह के ठीक सामने प्रतिमा
बता दें कि एकमात्र मंदिर प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ महादेव का है। जहां भगवान के साथ भक्त की पूजा भी होती आ रही है। मंदिर गर्भगृह के ठीक सामने बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त रहे आगर में जन्मे श्री जयनारायण बापजी की प्रतिमा लगी है, जहां वर्षों से भगवान के बाद भक्त की पूजा की जाती आ रही है।
126 वर्ष पूर्व जन्मे थे जयनारायण बापजी
23 मार्च 1896 को बाबा बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त रहे जयनारायण बापजी का जन्म हुआ था। उनके साथ जुलाई 1931 में हुई एक चमत्कारी घटना हुई। इसके बाद उन्होंने 27 जनवरी 1932 को सांसारिक जीवन का त्याग कर वैराग्य धारण कर लिया और अपने गुरू के साथ आध्यात्मिक जीवन शुरू कर दिया था।
आगर के इतिहास में दर्ज उनके साथ घटित चमत्कारिक घटना के अनुसार प्रारंभ से ही आप बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त रहे। कहा जाता है कि वे प्रतिदिन सुबह 5 बजे मंदिर जाते और सुबह 9 बजे तक पूजा अर्चना और ध्यान के बाद वापस लौटते थे। जुलाई 1931 में भी आप दर्शन पूजन को मंदिर गए, लेकिन इस दिन उनका ध्यान दोपहर 3 बजे तक लगा रहा।
आश्रम चले गए, फिर लौटकर नहीं आए
इसके बाद जैसे ही ध्यान टूटा। वे घबराते हुए अपने गोपाल मंदिर के पुजारी पं. नानुराम और अध्यापक रेवाशंकर के साथ कोर्ट पहुंचे। जैसे ही वे वहां पर साथी वकील बधाई देने लगे और कहने लगे की आपने क्या पैरवी की और अपने मुवक्किल को बा-इज्जत बरी करवा लिया। यह सुनकर उनको समझ नहीं आया।
इसके बाद जब वे न्यायालय में गए तो न्यायाधीश मौलवी मुबारिक हसन ने कहा कि आप समय पर कोर्ट में हाजिर हुए और आपने पैरवी की है। एक अन्य केस की तारिख भी आपने डायरी में नोट की है। इसके बाद वे 27 जनवरी 1932 को डॉ. गोपीकिशन खंडेलवाल की बारात में गए थे। वहीं से आप अपने गुरू नित्यानंद के पास धार के पास आश्रम चले गए और फिर लौटकर नहीं आए।
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