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उत्तरकाशी जिले के संकरी से शुरू की थी यात्रा:हिमालयन शृंखला के केदार कंठा पर्वत की 12050 फीट की ऊंची चोटी पर जामताड़ा के अरविंद ने फहराया तिरंगा

जामताड़ा2 महीने पहले
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जामताड़ा निवासी अरविंद वर्णवाल ने हिमालय पर्वत श्रृंखला के केदार कंठा पर्वत के बारह हजार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर जामताड़ा को गौरवान्वित किया। जामताड़ा के कोर्ट रोड निवासी अरविंद वर्णवाल ने बताया कि भारत वर्ष से आठ राज्यों के 30 लोग गणतंत्र दिवस के पूर्व हिमालय पर्वत श्रृंखला में तिरंगा फहराने की यात्रा में शामिल थे। बताया कि झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार के ट्रैकर इस यात्रा में शामिल थे। जामताड़ा और धनबाद से दो युवक इसमें शामिल थे।

ट्रैकर त्रिलोक राय के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी जिले में स्थित हिमालयन श्रृंखला के केदारकंठा पर्वत शिखर की बारह हजार पचास फीट ऊंचाई पर तिरंगा फहराने के लिए संकरी गांव से यात्रा शुरू किया गया। संकरी गांव से 12 किलोमीटर पर केदार कंठा पर्वत था। इस पर्वत को फतेह करने के दौरान हम लोगों ने दो बेस कैंप बनाए थे। पहला बेस कैंप पर्वत के तलहटी में तो दूसरा बेस कैंप दस हजार फीट की ऊंचाई पर था। हम लोगों ने दूसरे बेस कैम्प पहुंच कर थोड़ा आराम किया। उसके उपरांत रात 2:00 बजे केदारकंठा की चोटी पर पहुंचने की यात्रा शुरू की ताकि सुबह 7:00 बजे हिमालय पर्वत श्रृंखला का सूर्योदय का 360 डिग्री का दृश्य भी देख सकें।

पर्वत की ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा लहराना हम सभी साथियों क एक अविस्मरणीय पल था। उन्होंने बताया कि पूरे पर्वत श्रृंखला बर्फ की चादर से ढका हुआ था। तापमान भी खून को जमा देने वाला था। लेकिन हिमालय श्रृंखला की पर्वत की चोटी पर तिरंगा झंडा फहराने का जुनून ही था कि हम सभी बिना थके, बिना ठंड की परवाह किए इसकी ऊंची चोटी पर पहुंचे और तिरंगा झंडा फहरा आए। उन्होंने बताया कि पहले भी अमरनाथ और केदारनाथ की यात्रा वे कर चुके हैं।

15 जनवरी काे शुरू की थी यात्रा
15 जनवरी पहला दिन, देहरादून पहुंचे, वहां से मसूरी, नावगांव, पुरोला, मूरी, नेटवाद कोटगांव(संकरी) तक 220 किमी का सफर करीब दस घंटे में अपने निजी वाहन से पहुंचे। 16 जनवरी दूसरा दिन, कोटगांव (संकरी) से केदारकंठा पर्वत के 9100 फीट पर स्थित पहला बेस कैंप पहुंचे। 17 जनवरी तीसरा दिन 11250 फीट पर स्थित दूसरा बेस कैंप शेफर्ड कैम्प करीब पांच घंटे की ट्रेकिंग कर पहुंचे। वहां आराम करने के बाद रात दो बजे फिर पर्वतारोहण शुरू किया गया। करीब चार घंटे की चढ़ाई के बाद सुबह 7 बजे केदारकंठा की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचे। तारीख था 18 जनवरी। युवक के इस जज्बे की जामताड़ा के लोगों ने सराहना की है।

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