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डाउनलोड करेंकौशल विकास योजना के तहत चित्तरंजन रेलइंजन कारखाने (चिरेका) में वर्ष 2015 में आईटीआई आधारित एक्ट अप्रेंटिस के लिए 615 रिक्तियां आमंत्रित की गई थी। जिनमें फीटर, टर्नर, मशीनिस्ट, वेल्डर, इलेक्ट्रीशियन, पेंटर, रेफ्रिजरेटर एंड एसी मकैनिक का पद शामिल था। वर्ष 2016 में आवेदकों की मेडिकल जांच हुई थी। वर्ष 2017 में आवेदकों को नियुक्ति दी गयी। लेकिन तीन महीने बाद 63 आवेदकों को बिना किसी कारण बताए ट्रेनिंग से बैठा दिया गया। इन्हें न तीन माह का मेहनताना दिया गया, न अनुबंध कराया गया।
इसके बाद 63 अभ्यर्थियों ने कोलकाता हाई कोर्ट में मैट सूट दायर किया। इनमें 35 अभ्यर्थी स्थानीय है। वर्ष 2019 में कोलकाता हाई कोर्ट ने चिरेका प्रशासन को निर्देशित किया कि इन अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग दी जाए और नियमों के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराया जाय। जिसके बाद चिरेका के टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर सभी 63 अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित किया। लेकिन 9 माह बाद इन्हें फिर वर्ष 2020 को बिना किसी पूर्व सूचना के बैठा दिया गया। इस दौरान इन्हें स्टाइपेंड तो दिया गया, लेकिन कोई प्रमाणपत्र या अनुबंध नहीं किया गया। अब वे अभ्यर्थी दर-दर भटक रहे है और चिरेका के कार्मिक विभाग का रोज चक्कर लगा रहे है।
अभ्यर्थियों में नीरज कुमार, रूपेश ठाकुर, बिकास कुमार, इंकु सिन्हा आदि ने बताया कि एक साल की ट्रेनिंग के लिए हमें सात साल झेलना पड़ा, इस दौरान एक अभ्यर्थी की मौत भी हो गई। किसी नौकरी में आवेदन करने के लिए अब हमारी उम्र सीमा भी नहीं बची है। न ट्रेनिंग प्रमाणपत्र दिया जा रहा है और न ही अनुबंध प्रमाण पत्र। सीपीओ ऑफिस जाने पर अधिकारी हमें बताते है कि उनसे गलती हो गयी है।
उन्हें माफ कर दे या फिर कोर्ट केस कर दे, वो अब कुछ नहीं कर सकते। आरोप लगाया कि इन अधिकारियों ने हमारी जगह बैक डोर से घुस लेकर अन्य 80 लोगों को नियुक्त कर लिया है। अब हमें लेने में इन्हें परेशानी हो रही है इसलिए ये टालमटोल कर रहे है। प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। चित्तरंजन रेलवे प्राधिकरण ने अभी तक उनके प्रशिक्षण सत्र निर्धारित नहीं किए हैं, काम पंजीकृत नहीं किया है।
पीसीपीओ ने कहा- श्रम निदेशालय से की जा रही अपील
मामले को लेकर चिरेका के प्रधान मुख्य कार्मिक अधिकारी (पीसीपीओ) पी राम ने कहा कि कौशल विकास योजना के तहत डायरेक्टर ऑफ रीजनल ट्रेनिंग श्रम एवं कौशल विकास विभाग के तहत इन्हें ट्रेनिंग दी गयी है। ट्रेनिंग पूरी भी हो गयी है। लेकिन कोर्ट केस के कारण देर हुई और इनकी उम्र ज्यादा हो गयी। अब ट्रेनिंग प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन सिस्टम इनकी जानकारी अपलोड नहीं ले रहा है।
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