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डाउनलोड करेंसरकार के लाख प्रयास के बाद भी जिले में संस्थागत प्रसव दम तोड़ रहे है। जिले में संस्थागत प्रसव की संख्या लगातार कम होते जा रहे हैं। जिले में संस्थागत प्रसव लक्ष्य से काफी कम 40 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ने लगी है और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। पर हकीकत तो यह है कि निजी क्लिनिक और अस्पताल संचालक के झांसे में जिले के कई सहिया चली गई है।
उसके कारण प्रसव के लिए सहिया सदर अस्पताल न लाकर उन्हें निजी अस्पताल ले जा रहे हैं। जहां उन्हें भारी भरकम राशि मिल रहा है। पर मरीज के जान जोखिम भरे हुए हैं। यहीं वजह है कि आए दिन प्रसव के दौरान कई मरीज निजी अस्पताल में दम तोड़ रही है। साथ ही सरकार के महत्वाकांक्षी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के रिपोर्ट के अनुसार 3200 लक्ष्य के अनुरूप मात्र 1600 ही संस्थागत प्रसव हो रहे हैं।
वहीं निजी अस्पताल में प्रसव का रफ्तार बढ़ा है। निजी अस्पताल में 1300 सामान्य प्रसव हुए है। वहीं 1600 ऑपरेशन से प्रसव हुए है। वहीं सदर अस्पताल में 2020 में अप्रैल में 1750, मई में 1863, जून में 2493 और जुलाई में 1593 में प्रसव ही हुआ। वहीं इस वर्ष उससे भी ज्यादा गिरावट हुआ है। इस वर्ष 3200 की जगह मात्र 1600 प्रसव ही हुए है।
दलाल के भेट भी चढ़ रहे हैं मरीज
सदर अस्पताल में प्रसव की उचित व्यवस्था होने के बाद भी दलालों की ओर से यह कहर निजी अस्पताल में भेज दिया जाता है कि अस्पताल में किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। दलालों के बहकावे में मरीज के परिजन निजी अस्पताल में चले जाते हैं।
सीएस ने कहा- संक्रमण से संस्थागत प्रशव में कमी
सिविल सर्जन डॉ कमलेश कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव की व्यवस्था है। सिजेरियन ऑपरेशन व्यवस्थित तरीके से अस्पताल में होते हैं। संस्थागत प्रसव में कमी की वजह कोरोना संक्रमण से हुआ था। अब पहले के अपेक्षा काफी बेहतर हो रहा है।
अस्पताल में दोनों प्रसव की है सुविधा
राज्य सरकार की ओर से जिले के सदर अस्पताल में सिजेरियन और सामान्य दोनों तरह के प्रसव की सुविधा है। उसके बाद भी मरीज को निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। सिजेरियन ऑपरेशन के लिए सदर अस्पताल में चिकित्सक भी उपलब्ध है।
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