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डाउनलोड करेंकोरोना काल के दौरान शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत योजना-2020 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जमशेदपुर क्षेत्रीय कार्यालय में अब तक 1.20 करोड़ रुपए के गबन का मामला प्रकाश में आया है। इस घोटाले का मास्टरमाइंड केवल प्रसेनजीत घोष नहीं है। बल्कि इस हेराफेरी में उसके साथ गौतम व सरोज (पति-पत्नी) भी शामिल थे। इस दंपती ने ही प्रसेनजीत घोष को मजदूरों के बैंक खाते और आधारकार्ड उपलब्ध कराए थे। इसके बाद इस फर्जीवाड़ा को अमलीजामा पहनाया गया है। सीतारामडेरा, भालूबासा और बागबेड़ा इलाके में रहने वाले मजदूरों के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़ा किया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रसेनजीत घोष की मुलाकात जमशेदपुर ब्लॉक कार्यालय में काम के सिलसिले में आने जाने के दौरान गौतम-सरोज नामक दंपती से हुई। इसके बाद प्रसेनजीत ने दंपती से मिलकर पैसे कमाने की योजना बनाई। दंपती ने ही मजदूरों के खाता और बैंक डिटेल प्रसेनजीत को उपलब्ध कराए। घोटाले का मामला उजागर होते ही दंपती फोन बंद कर शहर से गायब हो गए हैं।
सेंट्रल ईपीएफओ को भेजी जाएगी रिपोर्ट
ईपीएफओ के अधिकारी 120 कंपनियों की जांच कर रहे हैं। 70 कंपनियों की जांच पूरी हो चुकी है, जिसमें 11 शेल कंपनियां पाई गई हैं। 50 कंपनियों की जांच चल रही है। एेसे में कुछ और गड़बड़ी सामने आ सकती है। इस पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर जोनल और सेंट्रल ईपीएफओ कार्यालय भेजा जाएगा। जांच रिपोर्ट में ईपीएफओ को प्राथमिक तौर घोटाला, घोटाला करने के तरीके और आरोपियों के बयान समेत सभी सबूतों के साथ पुख्ता रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसके बाद मामले में सीबीआई में केस दर्ज कराया जाएगा। इसकी अनुशंसा जोनल या सेंट्रल कार्यालय ही कर सकती है।
प्रसेनजीत के रिश्तेदार शेल कंपनियों के निदेशक
विभिन्न कंपनियों के लिए पीएफ का काम करने वाले कंसलटेट प्रसेनजीत घोष ने 11 शेल कंपनी बनाकर गबन किया। अब तक 11 शेल कंपनियों के खाते से पीएफ राशि की निकासी पर रोक लगा दी गई है। जांच ईपीएफओ रिजनल कमिश्नर-2 एसके गुप्ता कर रहे हैं। प्रसेनजीत ने पत्नी नेहा सरकार, ससुर नील सरकार, साला और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर शेल कंपनियां बना ली। अधिकतर लोगों को कंपनियों में निदेशक दिखाया। इन कंपनियों में 3 हजार लोगों के आधार कार्ड और बैंक खाते का इस्तेमाल हुआ।
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