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डाउनलोड करेंसूखे ने सेब बागवानों को संकट में डाल दिया है। बगीचों में नमी सूख जाने से इन दिनों बड़े पैमाने पर ड्रापिंग हो रही है। खासकर कम ऊंचे व मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में सूखे ने बागवानों को चिंता में डाल दिया है। इससे न केवल ड्रापिंग हो रही है, बल्कि सेब बगीचों में रस्टिंग, माइट, वूलि एपिड जैसी बीमारियां भी लग रही है। लंबे ड्राइ स्पेल के कारण सेब के साइज और क्वालिटी पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
सूखे से आधा झड़ चुका सेब: थाप्टा
कोटखाई के पुड़ग गांव के बागवान विकास थाप्टा ने बताया कि सूखे की वजह से आधा सेब ड्राप हो चुका है। जिन बागवानों के पास सिंचाई की सुविधा नहीं है, उनकी आधी फसल ड्राप हो गई है।
सेब पर रस्टिंग का अटैक: बिष्ट
प्रोग्रेसिव ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि ड्रापिंग के कारण पहले ही बागवानों को बहुत नुकसान हो चुका है। अब बगीचों में रस्टिंग बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। इससे क्वालिटी पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि नमी सूख जाने से सेब का साइज चेक हो गया है। अच्छा साइज नहीं बनने से उत्पादन में कमी आएगी।
कम व मध्यम ऊंचे क्षेत्रों में हो चुका काफी नुकसान: चौहान
फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि कम ऊंचे और मध्यम ऊंचे क्षेत्रों में सूखे की मार ज्यादा देखी गई है। उन्होंने बताया कि ड्रापिंग भी 7500 फीट से कम ऊंचे क्षेत्रों में ज्यादा हो रही है। उन्होंने बताया कि ड्राइ स्पेल लंबा चलता है तो अधिक ऊंचे क्षेत्रों में भी सेब को नुकसान हो जाएगा।
अमूमन जून में होती थी ड्रापिंग
आमतौर पर सूखे के कारण जून महीने में ड्रापिंग होती थी, लेकिन इस बार जल्दी गर्मिया पड़ने की वजह से अप्रैल और मई के पहले पखवाड़े में ही बहुत ज्यादा ड्रापिंग हो चुकी है।
तापमान रहा अधिक, बारिश हुई कम
इस बार मार्च माह से ही अधिकतम तापमान सामान्य से 4 से 10 डिग्री अधिक चल रहा है। इसी तरह एक मार्च से 19 मई तक प्रदेश में 85 फीसदी बारिश कम हुई है। इसका असर बागवानी पर पड़ रहा है।
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