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डाउनलोड करेंहिमाचल के 2 जिलों कुल्लू और लाहौल स्पीति के लिए एवलांच का अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही सैलानियों व स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे पहाड़ी इलाकों की तरफ न जाएं। बारिश-बर्फबारी के बाद मौसम साफ होने से ग्लेशियर के पिघलकर गिरने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में हिमस्खलन तबाही मचा सकते हैं।
DC कुल्लू आशुतोष गर्ग ने बताया कि मौसम साफ होने के बाद हिमस्खलन होने का ज्यादा बढ़ जाता है। जिस कारण प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे बर्फीले क्षेत्रों की ओर जाने से परहेज करें। स्नो एंड एवलांच स्टडी एस्टेबलिशमेंट (सासे) मनाली ने भी मौसम साफ होने पर जगह-जगह हिमस्खलन होने की चेतावनी जारी की है।
विभाग के मुताबिक, कुल्लू के नेहरूकुंड, कुलंग, पलचान, कोठी, रोहतांग पास, सोलंगनाला, धुंधी, व्यासकुंड, साउथ पोर्टल अटल टनल और बंजार, आनी क्षेत्र के जलोड़ीपास में हिमस्खलन हो सकता है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के कोकसर, सिस्सू, तांदी, दारचा, सरचू, कीरतिंग, छतडू, लोसर, बातल, सुमदो आदि क्षेत्र में भी हिमखंड और ग्लेशियर गिरने की संभावना है।
2 दिन तक जमकर हुई बर्फबारी
गौरतलब है कि जिला कुल्लू की तमाम ऊंची चोटियों सहित जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में 2 दिन तक जमकर बर्फबारी हुई। विशेषज्ञों की मानें तो जनवरी के बाद की बर्फ ज्यादा पानी वाली होती है, जिस कारण इसका भार भी ज्यादा होता है, जबकि दिसंबर और नवंबर में होने वाली बर्फबारी हल्की होती है, जिस कारण यह काफी लंबे समय तक पिघलती नहीं है।
वहीं जनवरी के बाद होने वाली बर्फबारी पानी वाली होने के कारण ज्यादा देर तक नहीं ठहर पाती। ऐसे में यह पानी वाली बर्फबारी पुरानी बर्फ के ऊपर ज्यादा भार डालती है, जिससे पहाड़ों से बर्फ के खंड गिरते हैं, जो आगे चलकर बर्फ का भारी मलबा अपने साथ लेकर नीचे की ओर ढहते हैं। इसे बर्फीला तूफान कहा जाता है, जो मैदानी इलाकों में तबाही मचा सकता है।
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