पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
डाउनलोड करेंनगर परिषद हाउस की बैठक में पहली बार जिला नगर आयुक्त (डीएमसी) पहुंची और पहली ही बार में जमकर हंगामा हुआ। बैठक में रुकने की बात पर डीएमसी डॉ. सुभिता ढाका ने वार्ड-4 की पार्षद सरिता सैनी से कह दिया कि हू आर यू? आप होती कौन हैं मुझे रोकने वाली।
इसी बात को लेकर पार्षद उखड़ गए। डीएमसी पर पार्षदों से दुर्व्यवहार करने और फाइलें पास नहीं करने के आरोप लगे तो जमकर हंगामा हो गया। पार्षदों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया तथा नगर परिषद कार्यालय परिसर में ही धरने पर बैठ गए।
गंभीर आरोप लगाए कि जिला नगर आयुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों से गाली गलौच करके डराती हैं, मगर हम डरने वाले नहीं हैं। करीब 4 घंटे तक धरना चला। चेयरपर्सन पूनम यादव भी पार्षदों के पक्ष में खड़ी नजर आईं। मामला उलझता देख डीसी अशोक कुमार गर्ग खुद पार्षदों से मिलने पहुंचे।
यहां पार्षदों ने डीएमसी पर गंभीर आरोप लगाए तथा तुरंत प्रभाव से तबादले की मांग उठाई। पार्षदों ने कहा कि ऐसी अधिकारी की वजह से ही शहर का विकास रुका हुआ है। इधर, डीएमसी ने दुर्व्यवहार की बात नकारते हुए हाउस की गरिमा की बात कही। उन्होंने इस विवाद को वार्ड-12 के साइन बोर्ड के मामले से भी जोड़ा।
कोई फाइल पास नहीं कर रहीं : पार्षद रेखा
वार्ड-12 की पार्षद रेखा यादव का कहना है कि सिर्फ हमारे वार्ड का मुद्दा नहीं है, डीएमसी ने 2 महीने से कोई फाइल पास ही नहीं की है। काम कैसे होंगे। वैसे भी हमारे वार्ड शहर का सबसे बड़ा वार्ड है, जिसमें 13-14 कॉलोनियां हैं तथा 6 आरडब्ल्यूए रजिस्टर्ड हैं। इतने बड़े एरिया में लोगों को गली नंबर व मकान तक नहीं मिलते।
इसलिए साइन बोर्ड लगवाने के लिए 18 लाख रुपए का एक प्रस्ताव किया हुआ है। जो रेट अप्रूवल के लिए डीएमसी के पास है, मगर उसे रोका हुआ है। बड़े साइन बोर्ड नहीं है, हर गली में उसकी संख्या अंकित करने के लिए छोटे बोर्ड हैं। वैसे बजट आवंटन चेयरपर्सन को हाउस की सहमति से करना है। जनहित के काम में अधिकारी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
मीडिया को बाहर रखने पर भी बहस
बैठक शुरू होने से पहले ही रेवाड़ी नगर परिषद का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे ईओ अरुण नांदल ने कहा कि बैठक में मीडिया नहीं होगी। यदि डीएमसी चाहेंगी तो ही मीडिया को अनुमति होगी। इस पर भी बहस हुई। पार्षदों ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया को पाबंद कैसे किया जा सकता है। वैसे भी यह गोपनीय नहीं, बल्कि शहर की सार्वजनिक समस्याओं को लेकर बैठक है, मीडिया बाहर गई तो हम भी बाहर जाएंगे।
हाउस बैठ चुका था, 10 मिनट में ही गरमा गया माहौल
नगर परिषद हाउस की बैठक सोमवार सुबह 11.30 बजे शुरू होनी थी। लगभग सही समय पर बैठक में पार्षद पहुंच चुके थे। अध्यक्षता के लिए चेयरपर्सन पूनम यादव भी आ चुकी थीं। सदन की कार्यवाही शुरू हो पाती, उससे पहले पार्षद मुद्दों को लेकर औपचारिक बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान डीएमसी डॉ. सुभिता ढाका भी बैठक में पहुंच गई।
ढाका के रेवाड़ी में कार्यकाल के समय यह पहली बैठक थी। इस दौरान पार्षदों ने पिछली बैठक के प्रस्तावों को लेकर भी हल्के फुल्के सवाल दागने शुरू कर दिए थे। इसी दौरान वार्ड-4 से पार्षद सरिता सैनी ने डीएमसी से कहा कि आप पार्षदों की बात सुनकर ही जाएं, क्योंकि शहर में बहुत समस्याएं हैं।
इस पर डीएमसी ने कहा कि हू आर यू? आप रोकने वाली कौन होती हैं। इस पर वार्ड-3 के पार्षद प्रवीन कुमार ने डीएमसी के व्यवहार पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आपको रेवाड़ी में ज्वाइन किए 2 महीने हो गए, मगर कोई फाइल पास नहीं कर रहे।
आपने शहर का सत्यानाश कर दिया। आरोप है कि आरोपों से आग बबूला हुई डीएमसी ने पार्षद का ही सत्यानाश जाने की बात कही। इससे माहौल गरमा गया। पार्षदों ने एकजुटता से डीएमसी के व्यवहार पर सख्त नाराजगी जताते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया।
पार्षदों की शिकायत... भरी बैठक में पार्षद को धमकाना जनता का अपमान
करीब 4 घंटे तक पार्षदों ने धरना दिया। मामला जानकारी में आने पर डीसी अशोक कुमार गर्ग खुद पार्षदों के बीच पहुंचे तथा उनकी बात सुनी। पार्षदों ने उन्हें अपनी शिकायत सौंपी। इसमें कहा कि डीएमसी सुभिता ढाका पार्षदों से दुर्व्यवहार करती हैं। 2 महीने से डीएमसी ने कोई फाइल साइन नहीं की है। इसके चलते सारे काम रुके हुए हैं।
अपने रवैये से मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता व यहां के विधायकों की छवि को खराब करने में लगी हुई हैं। पार्षदों को हाउस की बैठक में धमकाना,अभद्रता करना एक जनप्रतिनिधि का अपमान है। सरकार से मांग करते हैं कि ऐसी अधिकारी का तबादला किया जाए। नप में नियमित ईओ व एमई की नियुक्ति हो।
अधिकारी ही नहीं, काम कैसे होंगे : डीएमसी
दुर्व्यवहार जैसी कोई बात नहीं है। बैठक की गरिमा होती है। एक-एक करके बात रख सकते हैं, सारे एक साथ हंगामा करेंगे तो हाउस का मतलब नहीं है। मुझे रेवाड़ी में दो माह हुए हैं। तब से ही यहां ईओ व एक्सईएन नहीं थे। अधिकारियों के बिना काम कैसे हो सकते हैं। डीएमसी उच्च अधिकारी होता है, वो काम की अप्रूवल दे सकता है। उससे पहले के काम तो ईओ-एक्सईएन ही करते हैं। वैसे मुख्य तौर पर वार्ड-12 का इश्यू है। यहां 24 लाख रुपए के 200 बड़े साइन बोर्ड लगवाना चाहते हैं, जो मैने रोक दिए। ऐसे तो पूरी शहर में साइन बोर्ड के 6 करोड़ रुपए लग जाएंगे।
- डॉ. सुभिता ढाका, डीएमसी रेवाड़ी
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.