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डाउनलोड करेंहरियाणा के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों को दिल्ली पुलिस ने झटका दिया है। उन्हें रामलीला मैदान में एकत्र होने के लिए अनुमति देने से इंकार किया गया है। इससे आक्रोशित कर्मचारियों ने बुधवार को सीधे संसद कूच का ऐलान कर दिया। अब कर्मचारी जंतर-मंतर पर अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे।
धारा 144 का दिया हवाला
नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉइज एंड इंजीनियर (NCCOEEE) के संयोजक प्रशांत नंदी चौधरी, शैलेंद्र दुबे व सुभाष लांबा ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा धारा 144 का हवाला दिया गया है। MCD चुनाव प्रचार में भाजपा को रैलियां व रोड शो करने की इजाजत है, लेकिन बिजली कर्मचारियों को बिजली अमेंडमेंट बिल 2022 के खिलाफ रैली करने इजाजत नहीं है।
बिल पास होने से सब्सिडी होगी खत्म
कर्मचारी नेताओं ने इसे ट्रेंड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है। कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी है कि इस बिल को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिजली अमेंडमेंट बिल पास होने के बाद सब्सिडी खत्म हो जाएगी और बिजली की दरों में वृद्धि होगी।
प्राइवेट कंपनियों का बढ़ेगा दखल
बिल पास होने से बिजली किसान व गरीब की पहुंच से बाहर हो जाएगी। बिजली उपभोक्ताओं की बजाय प्राइवेट लाइसेंसी को यह अधिकार होगा कि वह किस को बिजली दें। बिजली के नेटवर्क को मामूली चार्ज देकर प्राइवेट लाइसेंसी भारी मुनाफा कमाएंगे। बिल पास होने पर घाटे का राष्ट्रीयकरण और मुनाफे का निजीकरण होगा।
23 नवंबर को होने वाले प्रदर्शन की मांगें:
- इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 वापस लिया जाए
- स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के निजीकरण आदेश वापस लिया जाए
- पॉवर सेक्टर के निजीकरण की समस्त प्रक्रिया रद्द की जाए
- सभी मौजूदा निजीकरण व फ्रेंचाइजी करार रद्द किए जाएं
- राज्यों में सभी बिजली कंपनियों का एकीकरण किया जाए
- बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों की पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए
- तेलंगाना की तरह सभी बिजली कर्मियों को नियमित किया जाए
- ऊर्जा क्षेत्र में सभी रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाए
- सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मुहैया कराई जाए
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