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डाउनलोड करेंवन विभाग के मजदूरों का डीएफओ जींद के कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना 18वें दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता लक्ष्मण शर्मा संचालन सुरेंद्र सिंह ने किया। यूनियन नेताओं ने कहा कि डीएफओ प्रदेश सरकार के इशारे पर वन मजदूरों की मांगों एवं समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं। पिछले पांच महीनों से वन मजदूरों को वेतन नहीं मिल रहा। वेतन डलवाने के लिए काम छोड़कर धरने पर मजबूर होना पड़ता है।
वक्ताओं ने कहा कि जब से बीजेपी सरकार केंद्र व प्रदेश में आई है तब से गरीब मजदूरों, किसानों व मेहनतकश आवाम के खिलाफ जंग ही छेड़ रखी है। आज बीजेपी के राज में मेहनतकश आवाम का जीना दूभर हो गया है। सरकारी विभागों व संस्थाओं को बेचा जा रहा है और इनमें ठेकेदारों के बोलबाला है। उन्होंने बताया कि वन मजदूरों को आज तक अपने ठेकेदारों के भी पता नहीं है।
इन ठेकेदारों व पूंजीपतियों के हक में कानूनों को बदला जा रहा है। बीजेपी ने 44 कानूनों की 4 लेबर कोड में बदल कर मजदूरों व कर्मचारियों को पूंजीपतियों व मालिकों के गुलाम बनाने का पक्का प्रबंध कर दिया। उन्होंने बताया कि रोजगार Aके हालात पहले ही खराब थे, लेकिन कोरोना के चलते करोड़ों लोगों के रोजगार चले गए।
महिलाओं के रोजगार पर बहुत खराब असर पड़े हैं। ऐसे में वन मजदूरों के हकों पर भी डाका डाला जा रहा है। उन्होंने मांग की कि चार महीनों से बकाया वेतन का भुगतान किया जाए, सभी वन मजदूरों के हाजिरी कार्ड व पहचान-पत्र जारी किए जाए, सभी मजदूरों के ईपीएफ व ईएसआई का भुगतान किया जाए, वरिष्ठता सूची बनाकर कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, 2018 से लेकर अब तक सभी मजदूरों का एरियर दिया जाए, हटाए गए सभी मजदूरों को काम पर लगाया जाए, कार्यकुशलता के आधार पर कैटेगरी का लाभ दिया जाए, दुर्घटना बीमा जारी किया जाए, सभी मजदूरों को वर्दी भत्ता, औजार दिया जाए।
इस अवसर पर बलदेव कंडेला, होशियार सिंह, कुलदीप, सतबीर, प्रवीण, पवन, सत्यनारायण, रमेश, बाला, सीता, रामरती, दिलबाग, बबली, शीला मौजूद रहे।
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