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डाउनलोड करेंदेशभर में ताऊ के नाम से मशहूर रहे पूर्व डिप्टी प्राइम मिनिस्टर स्व. देवीलाल की 109वीं जयंती पर हरियाणा के पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला BJP विरोधी 7 पार्टियों के प्रमुखों को एक साथ लाने में कामयाब रहे।
चौटाला की फतेहाबाद रैली में जिन 6 राज्यों के प्रमुख नेता पहुंचे, उनमें हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, बिहार, केरल, पंजाब और त्रिपुरा शामिल है। इन 6 राज्यों में लोकसभा की कुल 133 सीटें हैं और इनमें से 54 पर BJP के सांसद हैं। यहां की 79 लोकसभा सीटें इस समय भाजपा के खिलाफ ताल ठोक रहे दलों के पास है।
चौटाला ने फतेहाबाद में ‘सम्मान दिवस रैली’ अपनी पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के बैनर तले की। मजेदार बात ये है कि इनेलो का लोकसभा-राज्यसभा में कोई सांसद नहीं है। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भी उसका सिर्फ एक MLA है। ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट से विधायक हैं। कहा जा सकता है कि महज एक MLA वाले चौटाला देश की 7 पार्टियों के नेताओं को एक साथ लाने में सफल रहे।
ऐसे में यदि तीसरे मोर्चे का गठन होता है तो इनेलो 1986 का इतिहास दोहरा सकती है जब ताऊ देवीलाल ने हरियाणा में ही जींद से तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया था। चौटाला की रैली में पहुंचे सभी नेताओं के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ भाजपा रही। कांग्रेस या दूसरी किसी पार्टी के खिलाफ कोई नेता कुछ नहीं बोला।
जनता दल में ताऊ के पुराने सहयोगी
चौटाला की रैली में जिन दलों के नेता पहुंचे, उनमें से दो, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) तो पुराने जनता दल से ही निकले हैं। ताऊ देवीलाल जनता दल के बड़े नेताओं में थे और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार और RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव उनके शिष्य रह चुके हैं। इस नाते नीतीश और लालू यादव के ओमप्रकाश चौटाला से पुराने संबंध हैं।
बड़े नेताओं को देखकर नीतीश गदगद
चौटाला की रैली में आकर्षण का केंद्र बिहार के CM नीतीश कुमार थे। रैली में विपक्ष के इतने नेताओं को एक साथ देखकर नीतीश गदगद हो गए और भाजपा विरोधी दलों को एक साथ लाने का जिम्मा एक तरह से इनेलाे सुप्रीमो को ही दे गए। अपने भाषण में चौटाला की प्रंशसा करते हुए नीतीश ने कहा, ‘आपके चरण स्पर्श करता हूं कि आप विपक्ष को एकजुट करने में लगे हो। आगे भी जोड़ने का काम करें। CPI और CPM भी दूसरी पार्टियों से आग्रह करें। कांग्रेस से भी अनुरोध किया जाए।’
चौटाला के निशाने पर सिर्फ BJP
तेजतर्रार भाषण के लिए मशहूर इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने मंच से सिर्फ भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने न तो अपने पोते दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) पर कोई तीखा कटाक्ष किया और न ही कांग्रेस पर। चौटाला भाजपा के खिलाफ सभी दलों से एकजुट होने की अपील करते नजर आए।
2021 में सिर्फ फारूक, बीरेंद्र सिंह और बादल आए
इनेलो की ओर से ताऊ देवीलाल की जयंती पर हर साल हरियाणा के किसी न किसी हिस्से में बड़ी रैली की जाती है। वर्ष 2021 में भी इनेलो ने इस रैली के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल, UP के पूर्व CM मुलायम सिंह, जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला, आंध्रप्रदेश के पूर्व CM चंद्रबाबू नायडू, भाजपा के पुराने नेता यशवंत सिन्हा, रालोद के नेता जयंत चौधरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा नेता बीरेंद्र सिंह को निमंत्रण दिया था। तब केवल फारूक अब्दुल्ला, बीरेंद्र सिंह और प्रकाश सिंह बादल ही आए थे। उस समय भी कहा गया था कि इस रैली के लिए चौटाला तीसरे मोर्चे की संभावना तलाश रहे हैं।
इनेलो का इस समय एक भी सांसद नहीं
इस समय इनेलो का लोकसभा और राज्यसभा में एक भी सांसद नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का कोई कैंडिडेट जीत नहीं पाया था। वर्ष 2014 के चुनाव में इनेलो ने हरियाणा में लोकसभा की दो सीटें जीती थीं। उस समय हिसार से दुष्यंत चौटाला और सिरसा से चरणजीत सिंह रोड़ी इनेलो के टिकट पर जीते थे। 7 अक्टूबर 2018 को इनेलो ने ताऊ देवीलाल की 105वीं जयंती पर सोनीपत के गोहाना में रैली की थी। उस रैली में अभय चौटाला के भाषण के दौरान दुष्यंत समर्थकों ने हूटिंग कर दी थी। तब इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने हूटिंग करने वालों को जमकर लताड़ लगाई। चौटाला परिवार की आतंरिक कलह सामने आने के महीनेभर बाद, 2 नवंबर 2018 को चौटाला ने अपने दोनों पोतों सांसद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया। इसके लगभग एक महीने बाद 4 दिसंबर 2018 को दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (JJP) नाम से अपनी पार्टी बना ली।
CM मनोहर लाल ने ली चुटकी
इनेलो की फतेहाबाद रैली में तीसरे मोर्चे के गठन से जुड़े सवाल पर हरियाणा के CM मनोहर लाल ने चुटकी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की खिचड़ी बनाने का कोई अर्थ नहीं है। जब भी चुनाव आता है तो इस तरह की पार्टियां तीसरे मोर्चे की बात करने लगती हैं। ये पार्टियां देश में कई बरसों से तीसरे मोर्चे के गठन की बात कर रही है मगर कभी बन नहीं पाता। इस बार भी वह टिक नहीं पाएंगी।
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