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डाउनलोड करेंपाटीदार आरक्षण आंदोलन से निकले हार्दिक पटेल ने महज 1161 दिनों में कांग्रेस छोड़ दी है। हार्दिक पटेल ने कार्यकारी अध्यक्ष समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। हार्दिक ने इस्तीफा देने से पहले राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा था, लेकिन राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात नहीं की। इसके बाद पटेल ने पार्टी के सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया था। वहीं, आज हार्दिक पटेल ने अहमदाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
पार्टी में जातिवाद की राजनीति
हार्दिक पटेल ने कहा, "कांग्रेस में मुझे कार्यकारी जिम्मेदारी दी गई है। दो साल से किसी को यह जिम्मेदारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, 'मैं खुले दिमाग से चर्चा करने आया हूं। मैंने लोगों के लिए ईमानदारी से आंदोलन किया। हमारे आंदोलन से बहुतों को फायदा हुआ है। कांग्रेस में जातिवाद की राजनीति होती है। पार्टी लोगों का दुरुपयोग कर बाहर फेंक देने की नीति अपनाती है। नरहरि अमीन, चिमनभाई पटेल जैसे दिग्गज नेताओं को कांग्रेस ने हटा दिया। कांग्रेस में सच बोलने पर पार्टी के ही नेता बदनाम करने लगते हैं।
कांग्रेस के नेता सिर्फ पार्टी का यूज करते हैं
गुजरात में चाहे पाटीदार समाज हो या अन्य समाज, उन्हें कांग्रेस में भुगतना पड़ा है। कांग्रेस में सच बोलो तो बड़े नेता आपको बदनाम करेंगे और यही उनकी रणनीति है। गुजरात में केवल हार्दिक कांग्रेस से नाराज नहीं हैं। गुजरात में कई नेता और विधायक हैं, जो कांग्रेस का केवल इस्तेमाल करते हैं।
हार्दिक को लेकर बीजेपी में एक मत नहीं
पटेल के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। इस बीच भाजपा की प्रदेश टीम ने हार्दिक को भाजपा में ले जाने का मुद्दा उठाया, लेकिन नेताओं के विचारों में मतभेद थे। जिसमें किसी ने हार्दिक पटेल को बीजेपी में शामिल होने के लिए वोट नहीं किया था। हार्दिक को भाजपा में शामिल नहीं होने के लिए कहने वाले नेताओं ने तर्क दिया कि हार्दिक ने भाजपा को बहुत नुकसान पहुंचाया है, पार्टी नेताओं के बारे में अभद्र टिप्पणियां की हैं। हार्दिक को भाजपा में लेने से पाटीदार नेताओं और मतदाताओं पर हानिकारक असर पड़ सकता है, जो सालों से बीजेपी से जुड़े रहे हैं।
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