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डाउनलोड करेंसड़क दुर्घटना, पानी में डूबने, सांप काटने या गाज गिरने से होने वाली मौत पर राज्य सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है। ऐसे मामले ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में होते हैं, इसलिए मुआवजा नहीं मिलता या बिचौलिए अपनी कमीशन खा जाते हैं। पीड़ित परिवारों को पूरी राशि मिले, इसलिए पुलिस ने क्षतिपूर्ति सेल का गठन किया है।
फिलहाल इसकी शुरुआत कोरबा से की गई है। दरअसल, सभी तरह की दुर्घटनाओं में पुलिस केस रजिस्टर करती है। इसके बाद मुआवजे के लिए तहसीलदार के पास फाइल भेजी जाती है। यहीं गड़बड़ी होती है। बिचौलियों का रैकेट लोगों को मदद दिलाने का आश्वासन देकर बड़ी राशि अपने पास रख लेता है। कोरबा एसपी भोजराम पटेल के मुताबिक क्षतिपूर्ति सेल में कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। कोई भी दुर्घटना की सूचना मिलने पर सेल के कर्मचारी ही मुआवजा दिलाने के लिए पहल करेंगे, जिससे पूरी राशि मिल सके। हर दिन के अपराध की जो रिपोर्ट एसपी को दी जाती है, उसमें अब यह कॉलम भी जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे सीधी निगरानी हो सके। कलेक्टर को भी रिपोर्ट दी जाएगी।
लोक सेवा गारंटी के अंतर्गत समय-सीमा में दिलाएंगे राशि
लोगों को तय समय में राशि मिल सके, इसलिए लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत 15 दिन में मुआवजा दिलाने की व्यवस्था बनाई गई है। दरअसल, कई ऐसी भी शिकायतें हैं, जहां पुलिस थाने व तहसील के स्टाफ ही हेराफेरी करते हैं। जहां चार लाख मुआवजा मिलना रहता है, वहां लोगों को एक लाख ही थमा देते हैं। ग्रामीणों को जानकारी नहीं होने के कारण वे एक लाख पाकर ही संतुष्ट हो जाते हैं, जबकि इस तरह बड़ी राशि की हेराफेरी होती है। अब ऐसा कोई भी केस सामने आने पर क्षतिपूर्ति सेल के पास जाएगा, जिससे कोई बिचौलिया न हो और सीधे लोगों को फायदा मिल सके। इसकी नियमित रूप से निगरानी की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी न हो। थानों से हर दिन की रिपोर्ट ली जाएगी और कोई भी आशंका होने पर जवाब-तलब किया जाएगा।
प्राकृतिक घटनाओं में चार लाख तक मुआवजा देने का प्रावधान
प्राकृतिक घटना में गड्ढे में गिरने से मृत्यु, सांप, बिच्छू बच्छू, मधुमक्खी के काटने, नदी तालाब, बांध, कुआं, नहर, नाला में डूबने, नाव दुर्घटना, सिलेंडर फटने, खदान धसकने, लू से मौत होने पर 04 लाख, बस या अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नदी में गिरने या पहाड़ी से खड्डों में गिरने के कारण लोगों की मौत पर आश्रितों को 02 लाख, भीड़ जनित हिंसा से क्षति 3 लाख, मकान हानि के लिए आर्थिक अनुदान 95,100 रुपए, प्राकृतिक कारणों से निजी कुआं यदि टूट-फूट या धंस जाता है तो आर्थिक अनुदान सहायता 20 हजार से 40 हजार तक, आग अथवा अन्य प्राकृतिक आपदा से बैलगाड़ी या अन्य कृषि उपकरण नष्ट हो जाने पर आर्थिक अनुदान सहायता 10 हजार है। इसी तरह पशु हानि के लिए आर्थिक सहायता (अ) दुधारू पशु-भैंस 30 हजार, गाय 30 हजार, बकरी 3 हजार है।
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