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डाउनलोड करेंसंस्कृति विभाग ने अपने उप संचालक उमेश मिश्रा का निलंबन वापस ले लिया है। शुक्रवार को उनकी बहाली के आदेश जारी कर दिए गए। मजेदार बात यह है कि इस आदेश में उनकी निलंबन अवधि को सेवा में शामिल करने की बात कही गई है। उमेश मिश्रा को 22 दिसम्बर को मंत्री कार्यालय से समन्वय नहीं रखने, अनुशासनहीनता और कार्य में लापरवाही के आरोपों में निलंबित किया गया था।
संस्कृति विभाग के उप संचालक उमेश मिश्रा पर आरोप था कि वह विभागीय मंत्री अमरजीत भगत की बात ही नहीं सुनते। यहां तक की मंत्री का फोन तक रिसीव नहीं करते। यह आरोप खुद मंत्री अमरजीत भगत ने बकायदा नोटशीट चलाकर लगाए थे। संस्कृति और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने 11 अक्टूबर 2021 को विभागीय सचिव को एक नोटशीट भेजी। लिखा, संयुक्त संचालक उमेश मिश्रा, संस्कृति और पुरातत्व संचालनालय में पदस्थ हैं। वे मंत्री के कार्यालय से समन्वय नहीं रखते। उनके कार्यालय से अधिकारी फोन करते हैं तो उसे रिसीव भी नहीं करते।
उन्होंने नवरात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए कुछ प्रस्ताव भेजे थे। बार-बार बताने के बाद भी इसका कार्यादेश(वर्क ऑर्डर) जारी नहीं हुआ। इसकी वजह से आयोजक और स्थानीय जनप्रतिनिधियों-कलाकारों में काफी आक्रोश है। मंत्री ने लिखा, उमेश मिश्रा के विभागीय कार्यों के प्रति उदासीनता अनुशासनहीनता और घोर लापरवाही प्रतीत हो रही है। ऐसे में उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। इस नोटशीट को विभाग ने दबा दिया और कोई कार्रवाई नहीं हुई
मुख्यमंत्री तक पहुंचाई बात, तब निलंबन हुआ
कार्रवाई नहीं होने से नाराज मंत्री अमरजीत भगत ने अफसरों को कई बार टोका। करीब दो महीने बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की। उन्होंने कहा, अफसर ऐसे मनमानी करेंगे तो क्षेत्र के लोगों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। बताया जा रहा है, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अफसर पर कार्रवाई का रास्ता बना। 22 दिसम्बर को विभाग ने उमेश मिश्रा को निलंबित कर दिया।
रिप्रजेंटेशन से संतुष्ट है विभाग
विभागीय सूत्रों का कहना है, निलंबन के बाद उप संचालक उमेश मिश्रा ने विभाग को एक अभ्यावेदन (representation) दिया था। इसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों के खारिज किया। बताया जा रहा है कि विभाग उनकी बाताें से संतुष्ट हाे गया है। ऐसे में उनका निलंबन समाप्त कर निलंबन अवधि को भी सेवा काल में जोड़ लिया गया है।
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