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डाउनलोड करेंछत्तीसगढ़ में एक भी चिटफंड कंपनी रजिस्टर्ड नहीं है। ताज्जुब की बात है कि इसके बावजूद 400 से अधिक चिटफंड कंपनियां आम लोगों से डेढ़ सौ करोड़ रुपए ठगकर गायब हो चुकी हैं। इनमें से एक कंपनी ने अकेले ही करीब 60 करोड़ रुपए ठग लिए। ठगे गए लोगों में भी ज्यादातर पढ़े-लिखे ही हैं। इन्हें पता है कि अगर कोई इनाम मिलने, रकम दोगुनी होने या किसी भी तरह का झांसा दे तो उनके बहकावे में नहीं आना चाहिए।
सिर्फ बिलासपुर जिले की बात करें तो यहां प्रशासन को 40 हजार से अधिक अर्जियां मिली हैं, चिटफंड में खोई हुई रकम वापस दिलवाने के लिए। कुछ तो ऐसे भी लोग हैं, जो आवेदन देने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। चिटफंड कंपनियां अलग-अलग नाम और काम बहाने पहले भी आती रही हैं और आगे भी आती रहेंगी। यह हम पर निर्भर हैं कि इनके झांसों में आकर खुद को ठगने से कैसे बचाएं। कभी आकर्षक ब्याज तो कभी प्लॉट या मकान देने या फिर चेन मार्केटिंग के बहाने झांसा देकर ठगने वाली कंपनियों को पहचानकर सुरक्षित निवेश करने की जरूरत है।
राज्य सरकार ने ऐसी ठग कंपनियों के डेढ़ सौ से अधिक संचालकों पर केस दर्ज किया है। इन कंपनियों की संपत्तियां कुर्क कर ठगे गए लोगों को रकम दिलवाने का क्रम भी जारी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आगे चलकर न ऐसी कंपनियां बंद होंगी और न ही ठगी के मामले कम होंगे। ठगी के ऐसे मामलों में कमी लाने का एक ही तरीका है, वह है जनजागरूकता। अगर हम खुद जागरूक हो जाएं और अपने आसपास परिचितों, दोस्तों को जागरूक करना शुरू कर दें तो निश्चित ही ठग कंपनियां हमें बरगला नहीं पाएंगी।
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