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डाउनलोड करेंनगर स्थित मां अंगारमोती मंदिर वार्ड 2 में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन बुधवार काे भगवान कृष्ण की बाल लीला, रास लीला, गोवर्धन पर्वत एवं श्रीकृष्ण-रुख्मिणी विवाह की कथा सुनाई। कथा वाचक पंडित तोरण महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं के साथ गायों के चराने, गांव की गोपिकाओं के घरों में घुसकर दूध, दही व माखन खाने सहित अन्य बाल लीलाओं को बताया।
महाराज ने बताया कि सुख के साथी तो सब होते हैं। सुख सबको चाहिए, लेकिन दुख का सहभागी कोई नहीं होता। पुण्य सबको चाहिए, लेकिन पाप किसी को नहीं चाहिए, लेकिन हमारे गोविंद, भक्तों के अनेक जन्मों के अर्जित पाप को भी चुरा लेते हैं। बाल लीला का मनोहारी चित्रण कर पूतना उद्धार की कथा सुनाई गई।
उन्होंने बताया कि कैसा भी प्राणी हो भगवान के सन्मुख आ जाए तो वे उसका उद्धार कर देते हैं। भगवान भी ब्रज में रहकर माखन चोरी की लीला किए। आगे वृंदावन की सुंदर कथाओं का वर्णन किया। बकासुर अघासुर आदि दैत्यों का उद्धार, कालिया मर्दन के बाद गोवर्धन धारण कर भगवान ब्रज वासियों की रक्षा की। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुख्मिणी के साथ हुआ, लेकिन रुख्मिणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया।
इस कथा में समझाया गया कि रुख्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुख्मिणी के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। पं. तोरण महाराज ने इस दौरान लोगों को जीवन जीने की कला से भी अवगत कराया।
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