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शहरों और गांवों से घटेगी स्टोन क्रशर की दूरी:क्रशर मालिकों को राहत देने की तैयारी, हरियाणा सरकार ने ड्राफ्ट किया तैयार

चंडीगढ़6 महीने पहले
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यमुनानगर माइनिंग जोन में लगे स्टोन क्रशर। - Money Bhaskar
यमुनानगर माइनिंग जोन में लगे स्टोन क्रशर।

हरियाणा में स्टोन क्रशर यूनिट से होने वाले पॉल्यूशन से इसके आस-पास के शहर-गांवों के लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। सरकार ने लोगों की जगह स्टोन क्रशर मालिकों को राहत देने की राह आसान कर दी है। दूरी कम करने के लिए सरकार की ओर से ड्राफ्ट भी तैयार किया जा चुका है।

सरकार ने क्रशर उद्योग को राहत देते हुए 11 नियम बनाए हैं। इसमें 10 में संशोधन किया गया और 11वां नया जोड़ा है। नियम सख्ती से लागू किया गया तो प्रदेश की एक हजार में से 200 से अधिक यूनिट पर ताला लगना तय है। गांव की सीमा से क्रशर स्थापित करने की सीमा जो पहले एक किमी थी, उसे 500 मीटर कर दिया है।

30 दिन में मांगे लोगों से सुझाव और आपत्तियां

सूत्रों की मानें तो कुछ दिन पहले क्रशर मालिकों ने पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ बैठक कर राहत देने की मांग की थी। अब विभाग ने दूरी के मानक बदलने का ड्राफ्ट बना लिया है। लोगों से 30 दिन में सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हैं।

शिक्षण संस्थानों से क्रशर यूनिट की दूरी 500 मीटर रहेगी

  • नेशनल और स्टेट हाइवे: पहले एक किमी की दूरी। अब 500 मीटर की जाएगी।
  • नगर निगम क्षेत्र: पहले नगर निगम सीमा से 3 किमी दूरी तय थी। अब इसे 2 किमी किया जाएगा।
  • शहर या नगर पालिका क्षेत्र: पहले एक किमी दूरी का मानक तय था। अब 500 मीटर होगा।
  • फिरनी: पहले एक किमी का दायरा फिरनी या लालडोरा से माना जाता था। अब यह 500 मीटर की जा रही है।
  • सड़क, नहर, रेलवे लाइन, बांध, पौधरोपण पट्‌टी: पहले ऐसे क्षेत्रों से 500 मीटर की दूरी थी। इसे 250 मीटर किया जाएगा।
  • जलापूर्ति: 20 किमी क्षमता के खुले जलापूर्ति वाले टैंकों से पहले डेढ़ किमी दूरी का मानक था, जिसे अब एक किमी किया जाएगा।
  • नेशनल पार्क: राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव अभ्यारण और संरक्षण आरक्षित क्षेत्रों में पहले 2 किमी की दूरी तय था। अब राष्ट्रीय पार्क से तो 2 किमी दूरी ही रखी है। वन्यजीव अभ्यारण से दूरी एक किमी की जाएगी।
  • इन क्षेत्रों से दूरी पहले की तरह ही रखी जाएगी: 2016 में जारी अधिसूचना में स्कूल व खनन क्षेत्र या छोटी पहाड़ी का जिक्र नहीं था। अब सरकार शिक्षण संस्थानों और खनन क्षेत्र या छोटी पहाड़ी से 500 मीटर का मानक तय किया है।