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डाउनलोड करेंपंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस निर्मल यादव 'कैश एट डोर' रिश्वतकांड मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान एक आरोपी हरियाणा-दिल्ली के होटेलियर रविंदर सिंह भसीन के CrPC 313 के तहत बयान दर्ज किए गए।
अपने बयानों में आरोपी ने खुद को बेकसूर बताया और उसे झूठे केस में फंसाने की बात कही है। वहीं मामले में जस्टिस यादव समेत, बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और एक निर्मल सिंह के बयान आज दर्ज नहीं हो सके। CBI कोर्ट अब 21 नवंबर को केस की सुनवाई करेगी।
14 साल पुराने इस 15 लाख रुपए रिश्वत मामले में आरोपियों के CrPC 313 के तहत बयान दर्ज होने के बाद बचाव पक्ष द्वारा दलीलें पेश की जाएगी।
बता दें कि CBI कोर्ट के स्पेशल जज जगजीत सिंह साफ कर चुके हैं कि दिसंबर 2022 तक इस केस का ट्रायल पूरा किया जाएगा। आरोपियों की CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करने के लिए 10 अक्तूबर को सुनवाई तय की थी। हालांकि केस में लगातार बचाव पक्ष तारीख मांगता रहा है। कोर्ट ने अपने आर्डर में कहा है कि यह मामला 10 साल से पुराने केसों की श्रेणी में आता है।
ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत केस को इसी वर्ष दिसंबर तक डिसाइड किया जाना है। मामले में कोर्ट ने CBI की 20 के लगभग गवाहों को दोबारा 'कटघरे' में बुलाने की अर्जी को खारिज करते हुए आरोपियों को CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करवाने को कहा था।
रिटायर जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी चार आरोपियों पर IPC की विभिन्न धाराओं समेत आपराधिक साजिश की धारा के तहत केस दर्ज हुआ था। आरोपियों में पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल की मौत हो चुकी है। वहीं जस्टिस यादव समेत हरियाणा-दिल्ली के होटेलियर रविंदर सिंह भसीन, चंडीगढ़ के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और एक निर्मल सिंह पर मुकद्दमा चल रहा है।
गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की एक तत्कालीन महिला जज, जस्टिस निर्मल जीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। CBI केस के मुताबिक यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के पियन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त, 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी।
प्रकाश राम नामक व्यक्ति उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने पियन को कहा कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ CBI को केस की जांच सौंपी गई थी।
2011 में CBI ने दायर की थी चार्जशीट
CBI ने जांच के बाद कहा कि जस्टिस निर्मल यादव समेत अन्यों पर आपराधिक केस बनता है। जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ मार्च, 2011 में जब CBI ने चार्जशीट दायर की थी तो वह उत्तराखंड हाईकोर्ट की जज थी। रिश्वतकांड के बाद वर्ष 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग रद कर दी थी। जनवरी, 2014 में आरोपियों के के खिलाफ CBI कोर्ट ने आरोप तय किए थे। ट्रायल के दौरान संजीव बंसल की मौत हो गई थी।
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