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डाउनलोड करेंचंडीगढ़ में 15 लाख रुपए रिश्वत मामले में बुधवार को भी पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जज, जस्टिस (रि) निर्मल यादव के बयान दर्ज नहीं हो पाए। उनके आरोपी के रूप में CRPC 313 के तहत बयान दर्ज किए जाने हैं। एक बार फिर उनकी तरफ से तारीख ले ली गई। अब मामले में 24 नवंबर को उनके बयान दर्ज होंगे। केस में बाकी तीनों आरोपी अपने बयान दर्ज करवा चुके हैं। एक आरोपी संजीव बंसल की मौत हो चुकी है।
निर्मल यादव 14 साल पुराने भ्रष्टाचार मामले में आरोपी हैं। मामले में बाकी आरोपियों के बयान 313 के तहत दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें आरोपी बिजनेसमैन रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह शामिल हैं।
हालांकि जस्टिस यादव की ओर से बार-बार समय मांगा जा रहा था। गत 21 नवंबर को भी जस्टिस निर्मल यादव ने वकील के जरिए एक बार फिर समय की मांग की और उनके वकील ने कहा कि एक मौका और दिया जाए, अब 23 नवंबर को बयान दर्ज करवा दिए जाएंगे। अर्जी में दी गई दलीलों को देखते हुए CBI कोर्ट के स्पेशल जज जगजीत सिंह ने न्याय हित में जज को एक मौका दिया था।
मौका देते हुए 23 नंवबर की तारीख निर्मल यादव के बयान दर्ज करने के लिए तय की थी। कोर्ट अपने ऑर्डर में कह चुका है कि यह मामला 10 साल से पुराने केसों की श्रेणी में आता है। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत केस को इसी वर्ष दिसंबर तक डिसाइड किया जाना है। वर्ष 2008 में दर्ज इस केस में CBI कोर्ट के स्पेशल जज जगजीत सिंह साफ कर चुके हैं कि दिसंबर 2022 तक इस केस का ट्रायल पूरा किया जाएगा।
बता दें कि आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए 10 अक्तूबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन बचाव पक्ष लगातार आगे की तारीख मांगता रहा। मामले में कोर्ट ने CBI की 20 के लगभग गवाहों को दोबारा 'कटघरे' में बुलाने की अर्जी को भी खारिज किया। CBI के कई गवाह केस में मुकर चुके हैं।
रिटायर्ड जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी 4 आरोपियों पर IPC की विभिन्न धाराओं समेत आपराधिक साजिश रचने की धारा के तहत केस दर्ज हुआ था। आरोपियों में पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल की मौत हो चुकी है। वहीं जस्टिस यादव समेत हरियाणा-दिल्ली के होटलियर रविंदर सिंह भसीन, चंडीगढ़ के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह पर मुकद्दमा चल रहा है।
गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की जज रही जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। CBI केस के मुताबिक, यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के पीअन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी।
संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने पीअन को कहा कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलिवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ CBI को केस की जांच सौंपी गई थी।
2011 में CBI ने दायर की थी चार्जशीट
CBI ने जांच के बाद कहा कि जस्टिस निर्मल यादव समेत अन्यों पर आपराधिक केस बनता है। जस्टिस निर्मल यादव के खिलाफ मार्च 2011 में जब CBI ने चार्जशीट दायर की थी तो वह उत्तराखंड हाईकोर्ट की जज थी। रिश्वतकांड के बाद वर्ष 2009 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव की ट्रायल पर रोक लगाने की अर्जी को रद्द करते हुए ट्रायल में देरी पैदा करने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग रद्द कर दी थी। जनवरी 2014 में आरोपियों के खिलाफ CBI कोर्ट ने आरोप तय किए थे। ट्रायल के दौरान संजीव बंसल की मौत हो गई थी।
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