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डाउनलोड करेंतेरे नी करारां मैनू पट्टेया, दस मैं की प्यार विचों खटट्या, दिल दा मामला है, छल्ला बेरी ओए, वतन माही दा दूर ऐ... ये गीत कभी पंजाबी गीत-संगीत की शान हुआ करते थे, लेकिन पिछले 10 साल में वीडियो एलबम आने के साथ ही पंजाबी गीतों में नशे, मादक शरीर और हथियारों की नुमाइश ज्यादा होने लगी।
700 करोड़ रुपए की पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में कई गीतों के बोल शर्मसार करने वाले हैं। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 10 साल से हर छठे पंजाबी म्यूजिक एलबम में नशे, अपराध और गन कल्चर को दिखाया जाता है। यानी पंजाबी संगीत पॉपुलर होने के साथ-साथ कमाई तो कर रहा है, लेकिन साथ ही अपनी विरासत व संस्कृति को खोता भी जा रहा है।
कुछ दिन पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कहा है कि पंजाब की समृद्ध विरासत (विरसा) और संस्कृति है। युवा गायक पंजाबी गानों में हथियारों और नशीले पदार्थों का गुणगान करने से बचें। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर किसी ने ऐसा किया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चिंता- हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं बदले हालात, कानून में 3 महीने की सजा के प्रावधान के बावजूद पुलिस सख्ती नहीं करती
कैप्टन अमरिंदर ने 2017 में उठाया था मुद्दा, 5 साल बाद भी स्थिति जस की तस
कैप्टन सरकार ने यह मुद्दा 2017 में उठाया और जुलाई 2019 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्रग्स, हिंसा को बढ़ावा देने वाले गीतों पर रोक के निर्देश दिए। डीजीपी से कहा गया कि एसएसपी के जरिए सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक कार्यक्रमों, वाहनों, लाइव शो में ऐसे गीत न बजने पाएं। इसके बाद पुलिस ने 2020 में पंजाब में हिंसा, नशा, हथियार और अश्लीलता का प्रसार करने वाले गाने सरकारी-प्राइवेट बसों और शादी या अन्य सार्वजनिक समारोह में बजाने पर बैन लगा दिया था।
हालांकि इनकी निगरानी न के बराबर है। हालात जस के तस हैं। बड़ी कार्रवाई की बात करें तो पंजाब पुलिस ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला और मनकीरत औलख के खिलाफ केस दर्ज किया था। गैंगस्टर सुक्खा काहलवां की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘शूटर’ पर भी पाबंदी लगाई गई थी।
मार्केट में 12% शेयर
देश में म्यूजिक मार्केट में हिंदी गानों का 50 फीसदी शेयर है और 18 फीसदी इंटरनेशनल म्यूजिक का। इसके बाद नंबर आता है पंजाबी म्यूजिक का है। इसका मार्केट शेयर 12 फीसदी है।
कार्पोरेट्स के हाथ में रिमोट, युवाओं में म्यूजिक की समझ विकसित करनी होगी: सुरजीत पातर
म्यूजिक इंडस्ट्री का रिमोट कार्पोरेट्स के हाथ में है जो मुनाफे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कमीशन बनने की बात हुई थी पर लागू नहीं हुई। नई पीढ़ी में स्कूल, कॉलेज से ही बेहतर म्यूजिक और लिटरेचर की समझ विकसित करनी होगी। इससे स्थिति बदलेगी।’ - पदमश्री सुरजीत पातर, पंजाब कला परिषद के चेयरमैन
खूंरेजी हो रही रुह की खुराक: पूरन चंद वडाली
पंजाब की गायकी वो नहीं जो आजकल टीवी पर देख रहे हैं। हमने ताउम्र संगीत की पूजा की। भजन, शबद, गजल, ठुमरी, दादरा, हीर, घोड़ी हमारी विधाएं हैं। इन्हें गाने और सुनाने से रुह को सुकून मिलता है। अब कुछ लोगाें ने हदें लांघ दी हैं। रुह की खुराक को खूंरेजी होने से बचाया जाए।’ - पद्मश्री पूरन चंद वडाली, सूफी गायक
समाधान...फिल्मों की तरह ही गानों के लिए सेंसर बोर्ड बने, मंजूरी के बाद रिलीज हो गीत
फिल्म बनने पर तब तक रिलीज नहीं की जा सकती जब तक सेंसर बोर्ड से मंजूरी न मिल जाए। पंजाबी गीतों के मामले में ऐसा नहीं है। अगर पंजाबी गीतों के लिए सेंसर बोर्ड बनाया जाए तो समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है।
एक्सपर्ट व्यू - जुर्म करने के लिए उकसाने वाले गीतों के गायकों को हो सकती है सजा
गीत-संगीत के नाम पर अश्लीलता या गन कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप साबित होने पर 3 महीने की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। आईपीसी की धारा 294 के तहत दोषी को कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। जुर्म करने के लिए उकसाने वाले गीतों के गायकों को आईपीसी की धारा 113 के तहत सजा हो सकती है। ’ - आरके भल्ला, सीनियर एडवोकेट
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