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डाउनलोड करेंबिहार में इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा के दौरान छात्रों को इस बार दोहरी परीक्षा देनी होगी। एक विषय की तो दूसरी एंटीबॉडी की। कोरोना काल में भी बिहार बोर्ड की परीक्षा टाली नहीं गई है, एक फरवरी से होने वाली इंटर परीक्षा में संक्रमण को लेकर स्टूडेंट्स को खुद से सावधान होना होगा। हालांकि, बिहार बोर्ड की परीक्षा के पूर्व 26 जनवरी तक एग्जाम देने वाले सभी स्टूडेंट्स को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य दिया गया है, जबकि एक्सपर्ट की माने तो वैक्सीनेशन के बाद भी शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में सामान्य तौर पर 14 दिन लग जाते हैं। ऐसे में एग्जाम के दौरान कोरोना के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एग्जाम और वैक्सीनेशन की लड़ाई
3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया है। बिहार में लगभग 83 लाख ऐसे बच्चे हैं, जो इस आयु वर्ग में आते हैं। बिहार में अब तक इस आयु वर्ग के 26,99,742 लोगों ने वैक्सीनेशन कराया है। बिहार सरकार ने बोर्ड एग्जाम को लेकर ऐसे बच्चों को 26 जनवरी तक वैक्सीनेशन पूरा कराना है, जो बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले हैं। कोरोना की लड़ाई वैक्सीनेशन और मास्क के साथ सोशल डिस्टेंस से ही चल रही है।
इस बार संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे भी अधिक संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को लेकर भी कोरोना खतरे की घंटी लेकर आया है। इस खतरे के बाद भी सरकार बिहार बोर्ड का एग्जाम समय पर कराने के लिए पूरी तरह से जिद पर है। परीक्षा को कुछ समय के लिए टाला जा सकता था। कम से कम इसे संभावित पीक के बाद कराया जा सकता था, लेकिन सरकार का कहना है कि परीक्षा समय पर ही होगी।
ऐसे बढ़ सकता है खतरा
कोरोना को लेकर एक्सपर्ट बता रहे हैं कि तीसरी लहर का पीक जनवरी के अंत तक आ सकता है, जो फरवरी के दूसरे सप्ताह तक रहेगा। ऐसे में संक्रमण को लेकर लोगों में काफी डर है। एक्सपर्ट का कहना है कि पीक के दौरान केस में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो सकती है। इस अलर्ट से लोगों को सावधान किया जा रहा है।
लोगों से कहा जा रहा है कि वह सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सावधान रहें और संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें। सोशल डिस्टेंस को लेकर जोर दिया जा रहा है। साथ ही बहुत सारी पाबंंदियां भी सरकार की तरफ से बढ़ाई गई है। अगर कोरोना का पीक जनवरी के अंतिम सप्ताह में आया और फरवरी के दूसरे सप्ताह तक इसका प्रभाव रहा तो बोर्ड एग्जाम के समय मुश्किल बढ़ सकती है।
जानिए एंटीबॉडी को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पटना में वैक्सीनेशन में लगाए गए एक्सपर्ट डॉ. रजत की मानें तो जब शरीर में एंटीबॉडी होती है तो वह संबंधित वायरस से लड़ने की पूरी क्षमता होती है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन दी जा रही है और वैक्सीन से तैयार शरीर में एंटीबॉडी से ही कोरोना की लड़ाई होती है।
डॉ. रजत का कहना है कि एंटीबॉडी तैयार होने में भी समय लगता है। ऐसा नहीं है कि वैक्सीन लेते ही एंटीबॉडी तैयार हो जाती है। इसे लेकर जो अब तक की स्टडी है। उसके मुताबिक कोई भी व्यक्ति जब वैक्सीन की पहली डोज लेता है तो उसके अंदर एंटीबॉडी तैयार होने में सामान्य तौर पर 14 दिन लग जाते हैं, लेकिन अगर कोई दूसरा डोज लेता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी 7 दिन में ही बनने लगती है, वहीं बूस्टर यानी प्रिकॉशन डोज लेने वाले के शरीर में तत्काल से एंटीबॉडी काम करने लगती है। ऐसे में वैक्सीन की पहली डोज लेने वाले को औसतन 14 दिन लग ही जाते हैं।
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