पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर

डाउनलोड करें
  • Business News
  • Local
  • Bihar
  • Tej Pratap Yadav Read Required As Neglected, Ramnath Kovind Checked And Asked To Take Oath Again

तेजप्रताप यादव को जब फिर से लेनी पड़ी थी शपथ:'अपेक्षित' को पढ़ दिया था 'उपेक्षित'; तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने टोका, फिर से पढ़वाया

पटना2 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
2015 में पहली बार शपथ ग्रहण करते तेजप्रताप यादव।- फाइल - Money Bhaskar
2015 में पहली बार शपथ ग्रहण करते तेजप्रताप यादव।- फाइल

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 20 अक्टूबर को पटना आ रहे हैं। मौका है बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरा होने का। ऐसे में बिहार में उनके बतौर राज्यपाल कार्यकाल की एक रोचक घटना याद आ रही है। 2015 की बात है। लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पहली बार शपथ ले रहे थे। उन्होंने 'अपेक्षित' को 'उपेक्षित' पढ़ दिया। तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ध्यान से उच्चारण सुन रहे थे। उन्होंने तेजप्रताप को टोक दिया और दोबारा शपथ शुरू से पढ़वाया था।

तीसरे नंबर पर शपथ ले रहे थे तेजप्रताप यादव
2015 में तेजप्रताप यादव ने पहली बार विधायक बनते ही मंत्री पद की शपथ ली थी। तेजस्वी यादव ने तो शब्दों का ठीक-ठाक उच्चारण करते हुए शपथ ले ली। अब बारी तेजप्रताप यादव की थी। वे तीसरे नंबर पर शपथ ले रहे थे। यानी नीतीश कुमार सबसे पहले, उसके बाद तेजस्वी यादव फिर तेजप्रताप यादव। तेजप्रताप यादव ने शपथ लेना शुरू किया, उन्होंने 'अपेक्षित' शब्द को 'उपेक्षित' पढ़ दिया। अपेक्षित का मतलब जहां उम्मीद से है, वहीं उपेक्षित का मतलब किसी ऐसी बात या चीज से है जिसकी अनदेखी हो। यानी उम्मीद की जगह अनदेखी पढ़ दिया।

तेजप्रताप को मंच पर ही टोक दिया था
रामनाथ कोविंद ध्यान से सभी शपथ लेने वालों के शब्दों के उच्चारण सुन रहे थे। उन्होंने तुरंत मंच पर ही तेजप्रताप यादव को टोक दिया। अपेक्षित को ठीक से पढ़ने को कहा। तेजप्रताप जब ठीक से पढ़ने लगे तो रामनाथ कोविंद ने कहा कि पूरा फिर से पढ़िए। इसके बाद तेजप्रताप यादव को फिर से शपथ लेनी पड़ी। अगली बार तेजप्रताप यादव अपेक्षित को ठीक से पढ़ गए। उस दिन यही खबर शपथ ग्रहण समारोह की बड़ी खबर बन गई।

अपनी पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं तेजप्रताप
इनदिनों तेजप्रताप यादव अपनी ही पार्टी राजद में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। वे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की तरह ही सम्मान चाहते हैं। न मिलने पर विद्रोही तेवर में हैं। राजद में उपेक्षा के बाद उन्होंने नया संगठन छात्र जनशक्ति परिषद बना लिया है। उन्हें अपेक्षा है कि नए संगठन के जरिए राजनीति की नई जमीन तैयार करने में सफल होंगे।