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डाउनलोड करेंलालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के अंदर प्रदेश अध्यक्ष का विवाद अभी भी कायम है। गुरुवार को लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह के बीच देर तक दिल्ली स्थित मीसा भारती के आवास पर बातचीत हुई। सूत्रों की माने तो इसमें JDU-RJD विलय पर भी बात हुई। हालांकि जगदानंद और नीतीश के बीच रार के कारण और महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी पर भी बात अटकी हुई है। बता दें कि आज शुक्रवार को शाम में लालू प्रसाद किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सिंगापुर जा रहे हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार हालांकि लालू प्रसाद ने पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के सामने जगदानंद सिंह से कह दिया है कि मैं सिंगापुर जा रहा हूं, आप अध्यक्ष पद पर रहिए। लेकिन जगदानंद सिंह की नाराजगी तभी खत्म मानी जाएगी जब वे आरजेडी कार्यालय आना शुरू करेंगे। जब से उन्होंने अपने बेटे सुधाकर सिंह के कृषि मंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा (2 अक्टूबर को) की है, उसके बाद से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं।
बहुत नाराज हैं जगदानंद सिंह
राजद से जुड़े लोग बताते हैं कि इसे जगदानंद सिंह की राजनीतिक हार मानी जा रही है कि बेटे सुधाकर सिंह को नीतीश कुमार के दबाव में लालू प्रसाद ने मंत्री पद छोड़ने को कह दिया। उसके बाद सुधाकर का इस्तीफा हुआ। जगदानंद सिंह ने जिस अंदाज में सुधाकर के इस्तीफे की घोषणा की, उससे साफ है कि वे इस इस्तीफे के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने इसे बलिदान कहा था।
जगदानंद सिंह नहीं चाहते हैं कि नीतीश कुमार के कहने या उनके इशारे पर उनकी पार्टी की कार्यशैली प्रभावित हो, बड़े फैसले लिए जाएं! जगदानंद की नाराजगी इतनी ज्यादा है कि लालू प्रसाद से जब वे दिल्ली में मिले तो मीडियाकर्मी सवाल दर सवाल करते रहे, लेकिन वे चुप रहे।
सुधाकर को मंत्री पद पर वापस लाना चाहते हैं
लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह की मुलाकात पर पार्टी के सूत्र बताते हैं कि दोनों में राजद और जदयू के विलय पर भी विस्तार से बात हुई। बता दें कि दोनों पार्टियों में रह चुके प्रेम कुमार मणि ने एक माह पहले भास्कर से बातचीत में कहा था - 'स्वाभाविक यही है कि जदयू और राजद आपस में विलय कर जाएं।' जानकारी है कि इस फॉर्मूले पर जगदानंद सिंह का फोकस ज्यादा है कि विलय हो और बिहार की कमान तेजस्वी यादव के हाथ में आए और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष हों।
दरअसल, जगदानंद सिंह तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री जल्द से जल्द बनते हुए देखना चाहते हैं। वे यह जानते हैं कि तेजस्वी जब मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो सुधाकर सिंह को मंत्री पद पर रहने में दिक्कत नहीं होगी। नीतीश कुमार से न तो जगदानंद सिंह के राजनीतिक रिश्ते मधुर हैं और न बेटे सुधाकर सिंह के। सच कहें तो जगदानंद सिंह बेटे सुधाकर सिंह की वापसी मंत्री पद पर चाहते हैं! वर्तमान स्थिति में यह मुश्किल हो रहा है। इस मामले पर लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की राय अलग है। हालांकि जगदानंद सिंह ने इससे जुड़ा कोई बयान नहीं दिया है।
2020 के विधानसभा चुनाव में सुधाकर सिंह भाजपा के टिकट पर लड़े थे, तब जगदानंद सिंह ने उन्हें हराने के लिए राजद उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था। सुधाकर की हार हुई थी। वह राजनीतिक घटना नजीर की तरह है। अब जब सुधाकर राजद में हैं तो जगदानंद सिंह, सुधाकर के साथ खड़े हैं।
कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बना, बड़े फैसले नीतीश ले रहे
सूत्र बताते हैं कि असली लड़ाई नीतीश कुमार और जगदानंद सिंह के बीच है। अब जगदानंद सिंह चाहते हैं कि महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए और बड़े फैसले यही कमेटी ले। अभी चूंकि महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार हैं, इसलिए बड़े फैसले वही ले रहे हैं। नीतीश कुमार कई बार यह दिखा चुके हैं कि वे तेजस्वी को आगे बढ़ा रहे हैं या उनके कामकाज से काफी खुश हैं। हाल में मंच से उद्घोष कर तेजस्वी का जन्मदिन नीतीश कुमार ने जैसे मनाया, वैसा शायद ही किसी नेता का पहले मनाया गया होगा। माले जैसी पार्टियां भी महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग कई बार कर चुकी हैं।
'जैसे लालू के लिए तेजस्वी, उसी तरह जगदानंद के लिए सुधाकर का करियर'
हालांकि लालू प्रसाद ने जगदानंद सिंह को निर्देशित किया है कि वे अध्यक्ष पद पर रहें, पार्टी कार्यालय जाएं और सब कुछ पटरी पर लाएं। लेकिन फैसला जगदानंद सिंह को ही लेना है। वे समझ रहे हैं कि राजनीति कहां से हो रही है! राजनीतिक विश्लेषक ध्रुव कुमार कहते हैं कि लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर कोई बयानबाजी नहीं की।
ध्रुव कुमार कहते हैं लालू प्रसाद ने अब तक आरजेडी में किसी दूसरे को नया अध्यक्ष भी नहीं बनाया। जगदानंद सिंह हाल ही में फिर से सितंबर माह में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं। बड़ी बात यह कि जिस तरह से लालू प्रसाद के लिए तेजस्वी यादव का करियर है उसी तरह से जगदानंद सिंह के लिए सुधाकर सिंह का करियर है। अगर जगदानंद सिंह को लालू हटा देते हैं तो उनकी राजनीतिक हार होगी।
मैसेज जाएगा कि नीतीश भारी पड़ गए। नीतीश पहले ही सुधाकर को हटवाकर भारी पड़ चुके हैं। रही बात आरजेडी और जेडीयू के विलय की तो यह अभी इतना आसान नहीं! नीतीश जानते हैं कि पावर शिफ्ट हो जाएगा। जहां कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बन पा रही वहां विलय और ज्यादा मुश्किल है। इसके लिए 2024 का इंतजार ही करना होगा।
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